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राजधानी दिल्ली में वर्षा जल को सहेजने के लिए तैयारी शुरू, जल संचयन के लिए 1,500 गड्ढे तैयार किए जाएंगे

Admin Delhi 1
23 Jun 2022 6:49 AM GMT
राजधानी दिल्ली में वर्षा जल को सहेजने के लिए तैयारी शुरू, जल संचयन के लिए 1,500 गड्ढे तैयार किए जाएंगे
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दिल्ली वाटर क्राइसिस: दिल्ली में बरसात के पानी को सहेजकर रखने का काम शुरू किया जा रहा है। इस साल मानसून की वर्षा में पूरी दिल्ली में पानी को इकट्ठा करने के लिए 1500 से अधिक नए रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट्स बनाए जा रहे हैं जो 15 जुलाई से पहले बनकर तैयार हो जाएंगे। इस बाबत उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बुधवार को पीडब्ल्यूडी, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए), सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, दिल्ली नगर निगम, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) व दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की और नए बनाए जा रहे रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट्स से संबंधित तैयारियों का जायजा लिया।

योजना के तहत पूरी दिल्ली में विभिन्न नोडल एजेंसियों साथ मिलकर 1548 नए रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट्स बनाए जाएंगे। जिसके बाद इनकी संख्या बढक़र 2475 हो जाएगी। बरसात के पानी को व्यर्थ बहने देने से रोककर इन पिट्स को भरने का काम किया जाएगा, जिसकी मदद से ग्राउंड वाटर रिचार्ज कर पाएंगे और बरसात में व्यर्थ बहने वाले लाखों लीटर पानी को स्टोर कर पाएंगे। सरकार का प्रयास है कि सभी नोडल एजेंसियों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट्स बनाने के काम को तेजी से पूरा किया जाए, ताकि मानसून के दौरान इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके। बता दें कि दिल्ली सरकार राजधानी को पानी के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए तेजी से काम कर रही है। इस बाबत पिछले दिनों मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वैन से मुलाकात की थी और डेनमार्क के वर्षा जल संरक्षण माडल को समझा था। इस दौरान फ्रेडी स्वैन ने बताया था कि कैसे वर्षा जल को संरक्षित कर डेनमार्क ने स्वयं को पानी के लिए आत्मनिर्भर बनाया है। सरकार डेनमार्क के उन मॉडलो को दिल्ली में भी अपनाने का विचार कर रही है।

कैसे काम करता है रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट: रेन वाटर हार्वेस्टिंग पिट्स की कार्यप्रणाली बहुत सामान्य होती है, जिसमें जमीन पर सोखता गड्ढे बनाए जाते हैं। बरसात के दौरान बारिश के पानी को इन गड्ढों के माध्यम से एकत्र किया जाता है और यह पानी जमीन के अंदर जाता है, जिससे भूजल का स्तर बढ़ता है। जिस तेजी से भूजल स्तर कम होता जा रहा है, उसे देखते हुए वर्तमान में जल संरक्षण के ऐसे उपाय बेहद महत्वपूर्ण हो चुके हैं।

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