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प्रदूषण बना बड़ी चिंता, दिल्ली में PM 2.5 के कारण दुनिया के औसत से दोगुनी मौतें
Renuka Sahu
18 Aug 2022 4:55 AM GMT
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फाइल फोटो
दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में शुमार दिल्ली में पीएम 2.5 प्रदूषण का औसत स्तर सबसे अधिक है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में शुमार दिल्ली में पीएम 2.5 प्रदूषण का औसत स्तर सबसे अधिक है। अमेरिका के 'हेल्थ इफेक्ट इंस्टीट्यूट' की बुधवार को जारी नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, राजधानी में पीएम 2.5 प्रदूषण के चलते प्रति एक लाख की आबादी पर 106 लोगों की मौत हुई है।
वहीं, कोलकाता में यह संख्या 99 है। साथ ही कहा गया कि वर्ष 2010 से 2019 तक पीएम 2.5 में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी वाले 20 शहरों में से 18 भारत के हैं। रिपोर्ट वर्ष 2010 से 2019 तक 7,239 शहरों (50 हजार की न्यूनतम आबादी के साथ) में वायु प्रदूषण जोखिम और संबंधित स्वास्थ्य प्रभावों पर डाटा जुटाकर तैयार की गई है।
इस तरह पहुंचाता है नुकसान
पीएम 2.5 अति सूक्ष्म कण (2.5 माइक्रोन या उससे कम व्यास वाले) होता है जो फेफड़ों में सूजन बढ़ाता है। इससे कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली समेत हृदय और सांस संबंधी समस्याएं होने का खतरा रहता है। रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2019 में दिल्ली में 110 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की वार्षिक औसत से पीएम 2.5 दर्ज हुआ, जो दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले शहरों में सबसे ज्यादा है।
इसके बाद, कोलकाता (84 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) का स्थान है। उधर, बीजिंग में 2019 में पीएम 2.5 के उच्चतम स्तर के कारण प्रति लाख की आबादी पर मृत्यु दर 124 थी। रैंकिंग में दिल्ली और कोलकाता क्रमश: छठे और आठवें स्थान पर थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण पूर्व एशिया के शहरों में पीएम 2.5 का स्वास्थ्य पर असर तेजी से बढ़ा है। 2010 से 2019 तक 7,239 शहरों का विश्लेषण किया गया।
इसमें पाया गया कि पीएम 2.5 की वजह से मृत्यु दर में सबसे अधिक वृद्धि वाले सभी 20 शहर दक्षिण-पूर्व एशिया में हैं, जिसमें इंडोनेशिया के 19 और मलेशिया का एक शहर शामिल है। सभी 20 शहरों में 2010 की तुलना में 2019 में पीएम 2.5 की मात्रा में 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा की वृद्धि हुई।
103 शहरों की सूची में शामिल हैं दुनिया के 21 क्षेत्र
103 शहरों की सूची में दुनिया के 21 क्षेत्रों में सबसे अधिक आबादी वाले शहर शामिल हैं- जिसे दक्षिण एशिया, उत्तरी अफ्रीका/ मध्य पूर्व, लैटिन अमेरिका/ कैरेबियन, उप-सहारा अफ्रीका, पूर्वी यूरोप/ मध्य एशिया, पूर्वी एशिया/ प्रशांत और उच्च आय (पश्चिमी यूरोप, उच्च आय वाले उत्तरी अमेरिका, उच्च आय वाले एशिया प्रशांत सहित) क्षेत्रों को आगे 21 क्षेत्रों में उप-विभाजित किया गया है। स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर की वेबसाइट पर जारी आंकड़ों से पता चला है कि 2019 में दिल्ली में पीएम 2.5 से होने वाली मौतों की संख्या 29,900 थी।
117 देशों में निगरानी तंत्र
वर्तमान में केवल 117 देशों के पास पीएम 2.5 को ट्रैक करने के लिए जमीनी स्तर की निगरानी प्रणाली है और केवल 74 राष्ट्र एनओ 2 स्तर की निगरानी कर रहे हैं। वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणालियों में रणनीतिक निवेश और लक्षित क्षेत्रों में उपग्रहों और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों का विस्तारित उपयोग स्वच्छ हवा की दिशा में पहला महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और परियोजना समन्वयक डॉ. सुसान एनेनबर्ग ने कहा, 'दुनिया के अधिकतर शहरों में जमीन आधारित वायु गुणवत्ता निगरानी की व्यवस्था नहीं है, इसलिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए अनुमानित अति सूक्ष्म कण और गैस प्रदूषण के स्तर का इस्तेमाल किया जा सकता है।'
7,239 शहरों में 17 लाख मौत
वर्ष 2019 में 7,239 शहरों में पीएम 2.5 खतरों की वजह से 17 लाख मौतें हुईं, जिनमें एशिया, अफ्रीका, पूर्वी और मध्य यूरोप के शहरों में स्वास्थ्य पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) प्रदूषण के भौगोलिक पैटर्न पीएम 2.5 प्रदूषण के लिए देखे गए पैटर्न से काफी अलग हैं। पीएम 2.5 प्रदूषण निम्न और मध्यम आय वाले देशों के शहरों में सबसे अधिक होता है, जबकि एनओ2 का स्तर सभी आय स्तरों के देशों के बड़े शहरों में अधिक होता है।
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