दिल्ली-एनसीआर

पुलिस ने अंजन हत्याकांड की गुत्थी मोबाइल से सुलझाई

Admin Delhi 1
30 Nov 2022 7:41 AM GMT
पुलिस ने अंजन हत्याकांड की गुत्थी मोबाइल से सुलझाई
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दिल्ली क्राइम न्यूज़ अपडेट: अपराधी कितना भी शातिर हो, लेकिन वह कुछ ना कुछ सुराग छोड़ ही जाता है। ऐसा ही बेटे दीपक के साथ पति की हत्या कर उसके शव के 10 टुकड़े करने वाली पूनम देवी के साथ हुआ है। पूनम ने अंजनदास की हत्या करने के बाद अपने मोबाइल को पोर्ट करा लिया था। यही वह क्लू था जिससे पुलिस ने पांडव नगर में मानव शरीर के अंग मिलने की गुत्थी से पर्दा उठा दिया। पूनम ने अपना नंबर एयरटेल से जियो में पोर्ट करा लिया था। ऐसे में उसका मोबाइल कुछ दिनों के लिए बंद हो गया था। अपराध शाखा के पुलिस अधिकारियों के अनुसार जब मोबाइल को पोर्ट करवाते हैं तो वह कुछ दिनों के लिए बंद आता है। दूसरे मोबाइल पर बात करते हुए दीपक सीसीटीवी कैमरों में कैद हो गया था। हालांकि दीपक मोबाइल पर बात नहीं कर रहा था बल्कि उसने वहां मौजूद लोगों को गुमराह करने के लिए मोबाइल को कान पर लगा लिया था। ऐसे में पुलिस ने इलाके का डंप डाटा उठाया और ये देखा कि उस समय कितने फोन चल रहे थे और कितने फोन वारदात के बाद बंद हो गए।

पुलिस ने एक लाख फोनों का डंप डाटा उठाया। पुलिस को डंप डाटा को खंगालने के बाद के दौरान पता लगा कि पूनम देवी व अंजनदास के मोबाइल फोन उसी समय से बंद आ रहे हैं। आरोपियों ने अंजनदास के मोबाइल सिम को तोड़कर फेंक दिया था। ये उसके मोबाइल हैंडसेट को चला रहे थे। डंप डाटा की डिटेल खंगालते हुए पूनम का नंबर बंद मिला और पुलिस पूछताछ करते हुए पूनम तक पहुंच गई। स्थानीय लोगों ने सीसीटीवी कैमरों में कैद महिला की पहचान भी पूनम के रूप में की थी। शुरू में तो इन्होंने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश में बताया कि अंजनदास बिहार गया है। पुलिस को जब आरोपियों के अंजनदास की हत्या करते समय के कपड़े मिल गए तो उन्होंने अपना गुनाह कबूल कर लिया। इसके बाद इन्होंने पूरी घटना से पर्दा उठा दिया।

कूड़े में पड़े शव के टुकड़े देखने जाते थे आरोपी: अपराध शाखा के पुलिस अधिकारियों के अनुसार पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया है कि जब उन्होंने अंजनदास के शव के टुकड़े फेंक दिए तो उसके कुछ दिन बार ये शव के टुकड़ों को देखने जाते थे। दीपक व पूनम देवी तीन-तीन बार शव के टुकड़ों को देखने गए थे। जब शव के टुकड़े दिखने लग जाते थे तो आरोपी उसे कूड़े से ढककर आ जाते थे।

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