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कैबिनेट बैठक में पीएम मोदी ने की तारीफ, चंद घंटे बाद नकवी और आरसीपी ने दिया इस्तीफा
![कैबिनेट बैठक में पीएम मोदी ने की तारीफ, चंद घंटे बाद नकवी और आरसीपी ने दिया इस्तीफा कैबिनेट बैठक में पीएम मोदी ने की तारीफ, चंद घंटे बाद नकवी और आरसीपी ने दिया इस्तीफा](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/07/06/1760117-pm-modi-cabinet-meeting1653461706.avif)
ब्रेकिंग न्यूज़: केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश और लोगों की सेवा में नकवी और आरसीपी सिंह के योगदान की सराहना की। प्रधानमंत्री की सराहना के बाद से ही अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि दोनों मंत्री जल्द ही इस्तीफा दे देंगे। मुख्तार अब्बास नकवी और आरसीपी सिंह ने बुधवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। दोनों का राज्यसभा कार्यकाल गुरुवार को समाप्त हो रहा है। इससे पहले कैबिनेट बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों की तारीफ की थी। भाजपा अध्यक्ष नड्डा से मिले थे केंद्रीय मंत्री नकवीइससे पहले नकवी ने भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई थी, जब केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश और लोगों की सेवा में नकवी और आरसीपी सिंह के योगदान की सराहना की। प्रधानमंत्री की सराहना के बाद से ही अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि दोनों मंत्री जल्द ही इस्तीफा दे देंगे। नकवी केंद्र सरकार में अल्पसंख्यक कार्य मंत्री थे और राज्यसभा में भाजपा के उपनेता भी थे। हाल ही में हुए राज्यसभा द्विवार्षिक चुनाव में भाजपा ने उन्हें कहीं से उम्मीदवार नहीं बनाया था। तब से ही ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी उन्हें एनडीए का उपराष्ट्रपति उम्मीदवार या फिर किसी बड़े राज्य का राज्यपाल बना सकती है।
मुख्तार अब्बास नकवी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके हैं और वर्तमान में वे भारत सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के कैबिनेट मंत्री हैं। प्रयागराज में जन्मे नकवी ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा हासिल की है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय देश में आपातकाल घोषित होने पर उन्हें जेल में रहना पड़ा था। नकवी कभी इंदिरा गांधी को चुनाव में हराने वाले समाजवादी नेता राजनारायण के करीबी थे और उनके प्रभाव में सोशलिस्ट हुआ करते थे। बाद में वे बीजेपी में शामिल हो गए। राजनीतिमुख्तार अब्बास नकवी ने पहले बीजेपी के टिकट पर मऊ जिले की सदर विधानसभा सीट से दो बार विधानसभा पहुचने की कोशिश की पर असफल रहे। साल 1991 में वे मात्र 133 मतों से सीपीआई के इम्तियाज अहमद से चुनाव हार गयेथे। उसके बाद सन 1993 के विधानसभा चुनावों में बसपा के नसीम ने लगभग 10,000 मतों से उन्हें चुनाव हरा दिया था। 1998 में रामपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत गए, ये पहली बार हुआ था कि कोई मुस्लिम चेहरा भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनकर पहली बार संसद पहुंचा था। वे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री भी रहे। वह दो किताबें स्याह और दंगा भी लिख चुके हैं।