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कारण के 6 माह प्लांट बंद किया, कमेटी की रिपोर्ट में खुलासा
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नई दिल्लीः पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल साइट (Ghazipur Landfill Site) पर कूड़े के पहाड़ (Mountains of garbage) को कम करने के लिए दिल्ली नगर निगम (MCD) की तरफ से लैंडफिल साइट पर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट (Waste to energy plant) लगाया गया है. लैंडफिल साइट पर बार-बार लग रही आग की घटनाओं को रोकने के लिए बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में कई खामियां मिली है. पूर्व जस्टिस एसपी गर्ग (Former Justice S. P Garg) की अध्यक्षता में बनाई गई रिपोर्ट में कहा गया है कि प्लांट 6 महीने तक बंद रहा, लेकिन इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है कि क्यों बंद रहा.
रिपोर्ट के मुताबिक, गाजीपुर लैंडफिल साइट पर जमा कूड़े के ढेर के निस्तारण के लिए एक-एक वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाया गया है. इसकी क्षमता 1300 टीपीडी (TPD) है. कमेटी के गठन से पहले 6 महीने तक यह प्लांट बंद था. इसके बाद प्लांट को 6 मई को दोबारा शुरू किया गया, लेकिन यह पूरी क्षमता से शुरू नहीं हो सका. कुछ दिनों बाद ही प्लांट में खराबी आ गई और फिर बंद हो गया.
इसके बाद 15 जून को प्लांट को दोबारा शुरू किया गया, लेकिन यह अभी भी अपनी क्षमता से कम 70% तक ही काम कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के बार-बार बंद होने और पूरी क्षमता से कूड़े का प्रोसेस नहीं होने से साइट पर जमा कूड़ा कम होने के बजाय बढ़ रहा है.
बता दें, गाजीपुर लैंडफिल साइट पूर्वी दिल्ली के लिए बड़ी मुसीबत है. इसके आसपास रहने वाले लोग दुर्गंध से परेशान हैं. वहीं, आए दिन लगने वाली आग आसपास के लोगों की मुसीबतों को और भी बढ़ा देती है. मेडिकल एक्सपर्ट का मानना है कि लैंडफिल साइट के आसपास का क्षेत्र स्वास्थ्य को लेकर खतरनाक है. दिल्ली नगर निगम की तरफ से इस लैंडफिल साइट पर जमा कूड़े के ढेर को खत्म करने के लिए लगातार दावे किए जा रहे हैं, लेकिन यह हकीकत से दूर है.