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जामिया नगर में स्वतंत्रता सेनानी के साथ बांग्लादेशी स्कॉलर की तस्वीर, पोस्टर विवाद में AAP
दिल्ली के जामिया नगर में आम आदमी पार्टी ने ऐसा फ्लेक्स बोर्ड लगाया है, जिसमे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तस्वीरों के साथ बांग्लादेश के स्कॉलर को भी जगह दी है. हैरानी वाली बात यह है कि ये फ्लेक्स बोर्ड कई महीने पहले लगाया गया था, लेकिन इस तरफ किसी का ध्यान नहीं गया. इस संबंध में AAP को भी सूचना दी गई, लेकिन पार्टी ने अब तक त्रुटि को ठीक नहीं किया है. फिलहाल, ये फ्लेक्स बोर्ड अभी भी नहीं हटा है.
देश अपना 75वां स्वतंत्रता वर्ष मना रहा है और भारत सरकार पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है. हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वालों को सम्मानित करने के लिए कई शहरों में ऐसे दिग्गजों के फोटो और कैरिकेचर देखे जा रहे हैं. हालांकि, दिल्ली में आम आदमी पार्टी अपने पोस्टर में भारतीय स्वतंत्रता सेनानी की गलत पहचान करने के कारण बड़े विवाद में फंस गई है.
दिल्ली के जामिया नगर के 'फ्रीडम फाइटर फाउंटेन' में भारत के स्वतंत्रता सेनानियों राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, शहीद भगत सिंह, शहीद सुखदेव, शहीद अशफाकउल्लाह खान के साथ बांग्लादेशी इस्लामिक स्कॉलर मौलाना महमूदुल हसन की तस्वीर लगाई गई है.
इस फ्लेक्स बोर्ड को आम आदमी पार्टी ने कई महीने पहले लगाया था. इस फ्लेक्स बोर्ड में महमूद हसन देवबंदी की तस्वीर होनी चाहिए थी, जिनका भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बहुत बड़ा योगदान है और जो जामिया नगर में जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के को-फाउंडर्स में से एक थे.
सूत्रों का कहना है कि ये फ्लेक्स कई महीने पहले लगाया गया था. उसके बावजूद AAP ने इस गलती को ठीक नहीं किया है. इस मामले में आजतक ने AAP नेतृत्व से कई बार संपर्क किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है.
महमूद हसन देवबंदी कौन थे?
महमूद हसन देवबंदी का जन्म 1851 में बरेली (उत्तर प्रदेश) में हुआ था. उनके पिता जुल्फिकार अली देवबंदी, दारुल उलूम देवबंद के सह-संस्थापक और बरेली कॉलेज में प्रोफेसर थे.
महमूद हसन देवबंदी और भारत का स्वतंत्रता संग्राम
देवबंदी ने भारत में ब्रिटिश शासन का जोरदार विरोध किया और खिलाफत कमेटी द्वारा उन्हें 'शेख अल-हिंद' (भारत के नेता) की उपाधि से सम्मानित किया गया. हसन ने मुहम्मद अली जौहर और हकीम अजमल खान के साथ जामिया मिलिया इस्लामिया की स्थापना की. वह दारुल उलूम देवबंद में पढ़ने वाले पहले छात्र थे. हसन ने मुसलमानों को असहयोग आंदोलन का समर्थन करने के लिए प्रेरित किया. हसन को दिसंबर 1916 में सिल्क लेटर मूवमेंट के लिए गिरफ्तार किया गया था. 30 नवंबर, 1920 को उनका निधन हो गया.
कौन हैं मौलाना महमदुल हसन
महमूदुल हसन, सरकार समर्थक इस्लामिक स्कॉलर, लेखक, धार्मिक सुधारक, शिक्षक, सार्वजनिक वक्ता और आध्यात्मिक व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं. उनका जन्म 5 जुलाई 1950 को बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले के कोतवाली थाना के चरखरिचा गांव में हुआ था. वर्तमान में वह गुलशन सेंट्रल आजाद मस्जिद और ईदगाह सोसाइटी, मजलिस-ए-दावतुल हक बांग्लादेश के अमीर में खबतीब हैं.
2020 में जात्राबाड़ी मदरसा के प्रिंसिपल और गुलशन आजाद मस्जिद के पूर्व खतीब मौलाना महमूदुल हसन को बांग्लादेश कौमी मदरसा एजुकेशन बोर्ड (बेफाक) का नया अध्यक्ष चुना गया है