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दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उसे इस योजना (Plan) में दखल देने की कोई वजह नजर नहीं आती।
सेना में भर्ती के लिए केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना की शुरुआत की थी, जिसको लेकर देशभर में हंगामा, विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था। इस योजना के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी और इसे चुनौती दी गई थी। इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है। इन याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस योजना में हस्तक्षेप की कोई वजह दिखाई नहीं देती है।
जिस तरह से हाई कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज किया है उसे केंद्र सरकार की बड़ी जीत माना जा रहा है। कोर्ट ने भी अब इस भर्ती योजना पर अपनी मुहर लगा दी है। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है। बता दें कि इससे पहले 15 दिसंबर को कोर्ट ने अपना फैसला इस मामले में सुरक्षित रख लिया था।
इस मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अग्निपथ योजना का समर्थन किया गया। बता दें कि सशस्त्र बलों में भर्ती इस योजना के तहत पिछले साल जून माह में शुरू हो गई है। जो भी उम्मीदवार 17 वर्ष से 21 वर्ष के बीच हैं वह इस योजना के तहत भर्ती के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस योजना के तहत भर्ती किए जाने वाले अग्निवीरों को चार साल के लिए भर्ती किया जाता है। चार साल के बाद कुल भर्ती के 25 फीसदी अग्निवीरों को स्थायी सेवा में शामिल कर लिया जाता है और उन्हें नियमित कर दिया जाता है।
जिस तरह से केंद्र की ओर से अग्निपथ योजना की शुरुआत की गई थी, उसकी विपक्ष ने काफी आलोचना की थी। देशभर में इसको लेकर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला था। जिसके बाद सरकार ने इस योजना के तहत भर्ती के लिए ऊपरी उम्र सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया था। इस योजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थी, जिन्हें कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट को ट्रांसफर किया था।