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बालकनी-छत से गिरकर सबसे ज्यादा चोटिल होते हैं लोग, जागरूक करने का काम करेगी स्पाइनल कॉर्ड सोसाइटी

Tara Tandi
3 Sep 2023 9:15 AM GMT
बालकनी-छत से गिरकर सबसे ज्यादा चोटिल होते हैं लोग, जागरूक करने का काम करेगी स्पाइनल कॉर्ड सोसाइटी
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देश में सबसे ज्यादा लोग बालकनी-छत से गिरकर चोटिल होते हैं। इनमें करीब 80 फीसदी लोग मध्यम या निम्न आय वर्ग से हैं। ऐसे लोगों को चोट लगने की संभावनाओं के प्रति जागरूक करके बचाया जा सकता है। स्पाइनल कॉर्ड सोसाइटी के अध्ययन की माने तो सुरक्षा को लेकर छोटे से बदलाव से काफी सुधार हो सकता है। इसे रोकने के लिए देशभर के सभी अस्पतालों में चोटिल मरीजों का डाटा तैयार करना होगा।
सोसाइटी से जुड़े डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल में चोटिल होकर आने वाले मरीजों में सबसे ज्यादा संख्या बालकनी-छत से गिरकर लोगों की है। इसके बाद सीढ़ी से गिरकर, बिजली के खंभे से गिरकर, बाइक में चुन्नी फंसकर, खिड़की से गिरने वाले, पेड़ से गिरने वालों की हैं। ऐसी घटनाओं में अधिकतर लोग कम ऊंचाई से गिरे हैं। इसके अलावा सड़क दुर्घटना में भी बड़ी संख्या में लोग घायल होते हैं। देश को चोट मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अभियान भी शुरू किया है।
एक से सात सितंबर तक मनाए जा रहे इंजरी प्रीवेंशन वीक को लेकर स्वास्थ्य महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. अतुल गोयल का कहना है कि चोट मुक्त भारत से न केवल हेल्थकेयर का भार कम होगा, बल्कि नागरिकों के जीवन की संपूर्ण गुणवत्ता भी बेहतर होगी। चोट मुक्त भारत, यहां इंजरी प्रीवेंशन वीक आयोजित करने के पीछे मुख्य उद्देश्य है। बता दें कि देश में चोट लगने की सबसे बड़ी वजहों में सड़क दुर्घटना और गिरना शामिल हैं। दुनियाभर में होने वाले सड़क हादसों की लगभग 10 प्रतिशत दुर्घटनाएं भारत में होती हैं और 18 से 35 वर्ष के युवा इसके सबसे ज्यादा शिकार होते हैं।
पूरे हफ्ते चलेगा जागरुकता अभियान
वहीं स्पाइनल कॉर्ड सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. हरविंदर सिंह छाबड़ा ने कहा कि हेल्थकेयर पर आने वाला खर्च लगातार बढ़ रहा है, इसलिए चोट से बचकर रहना बहुत जरूरी हो गया है। इसकी रोकथाम के लिए पूरे सप्ताह जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। साथ ही लोगों को बताया जाएगा कि कैसे छोटे-छोट बदलाव करके गंभीर रूप से लगने वाली चोट को रोका जा सकता है।
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