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गुरुग्राम में माता-पिता ने अपनी बेटी को दी लीवर व किडनी
दिल्ली एनसीआर न्यूज़: कश्मीर के रहने वाले एक माता-पिता ने अपनी बेटी को किडनी व लीवर डोनेट करके उम्र के इस पड़ाव पर एक बार फिर से माता-पिता होने का फर्ज अदा किया है। चिकित्सकों के लिए यह बड़ी चुनौती थी। दोनों अंगों का एक साथ प्रत्यारोपण और बुजुर्गों से अंग लेना काफी जटिल काम था। आम तौर पर एक अंग प्रत्यारोपण की तुलना में संयुक्त (दो अंग) प्रत्यारोपण कठिन है। इसमें रोगियों की मृत्यु दर भी बहुत अधिक है। फिर भी यहां दुर्लभ आनुवांशिक बीमारी से पीडि़त महिला के दोनों अंग प्रत्यारोपित किए गए। कश्मीर के सोपोर की रहने वाली 37 वर्षीय महिला मरीज को लगातार सिर दर्द और उल्टी होती थी। शुरुआत में यह पता लगाना मुश्किल था कि समस्या क्या है। जांच के बाद पता चला कि वह आनुवांशिक गंभीर बीमारी से पीडि़त है। जन्म के समय से ही वह दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी हाइपरॉक्सालुरिया से पीडि़त थी। महिला मरीज के माता-पिता ने कहा कि वे अपनी बेटी के लिए वे कुछ भी करने को तैयार थे। उसकी जान बचाना ही उनके जीवन का मकसद था। अपनी आंखों के आगे बेटी को बीमारी से जूझते नहीं देख सकते थे। ऐसे में उन्होंने अपनी पत्नी (महिला मरीज के माता-पिता) के साथ किडनी और लीवर बेटी को डोनेट करने का निर्णय लिया। यहां आर्टेमिस अस्पताल में 16 घंटे की चुनौतीपूर्ण सर्जरी करके महिला की किडनी व लीवर का ट्रांसप्लांट किया गया।
यहां आर्टेमिस अस्पताल के किडनी ट्रांसप्लांट के सीनियर कंसल्टेंट डा. वरुण मित्तल व चीफ लीवर ट्रांसप्लांट डा. गिरिराज बोरा इस बीमारी से लीवर शरीर की आवश्यकता से अधिक मात्रा में ऑक्सालेट्यू नामक एक प्राकृतिक रसायन का उत्पादन करता है, जो एक एंजाइम दोष की वजह बनता है। इस बीमारी से लीवर व किडनी सीधे प्रभावित होते हैं। अतिरिक्त ऑक्सालेट कैल्शियम के साथ मिलकर किडनी में पथरी और क्रिस्टल बनाता है, जो उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है। काम करना बंद कर सकता है। रोगी वर्षों तक अपनी स्थिति से अनजान रही। डॉक्टर्स के मुताबिक लिवर-किडनी ट्रांसप्लांट में एक मरीज की मृत्यु दर बहुत अधिक होती है। संयुक्त लीवर-किडनी प्रत्यारोपण चिकित्सा क्षेत्र में सबसे जटिल सर्जरी प्रक्रिया में से एक है। मरीज, डोनर और चिकित्सकों की पूरी टीम के अथक प्रयासों के बाद इस जटिल काम में सफलता मिली।