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FSSAI के नए मसौदे का विरोध: राकेश टिकैत बोले- लोगों की सेहत को जोखिम में डालेगा सरकार का यह फैसला

Deepa Sahu
29 Jan 2022 4:07 PM GMT
FSSAI के नए मसौदे का विरोध: राकेश टिकैत बोले- लोगों की सेहत को जोखिम में डालेगा सरकार का यह फैसला
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देश में एक बार फिर जीएम फूड की चर्चा शुरू हो गई है।

देश में एक बार फिर जीएम फूड की चर्चा शुरू हो गई है। जीएम खाद्य पदार्थों को विनियमित करने वाले सरकार के एक मसौदे को लेकर नागरिक संगठनों का विरोध तेज हो गया है। इसे लेकर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी केंद्र सरकार की भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को पत्र लिखकर कहा है कि,कुछ सर्वेक्षणों के साथ-साथ बीटी बैंगन और एचटी सरसों की सार्वजनिक बहस से यह बहुत स्पष्ट है कि भारत में जीएम खाद्य फसलों की अस्वीकृति है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण जैसा खाद्य सुरक्षा नियामक असुरक्षित खाद्य पदार्थों को हमारी खाद्य श्रृंखला में क्यों लाना चाहता है। एफएसएसएआई का यह मसौदा न केवल लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डालेगा, बल्कि यह व्यावसायिक हितों को भी प्रभावित करने वाला है।

भारतीय खाद्य सुरक्षा और नियामक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा जीएम खाद्य पदार्थों का मसौदा विनियमन 15 नवंबर, 2021 को जारी किया गया था। इस पर आम जनता की टिप्पणियां और सुझाव 15 जनवरी, 2022 तक मांगे गए हैं। इस पर एक बहस भी छिड़ गई है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने पत्र लिखकर कहा कि बीटी बैंगन और एचटी सरसों के कुछ सर्वेक्षणों के साथ-साथ सार्वजनिक बहस से यह बहुत स्पष्ट है कि भारत में जीएम खाद्य फसलों की अस्वीकृति है। एफएसएसएआई जैसा खाद्य सुरक्षा नियामक हमारी खाद्य श्रृंखला में असुरक्षित खाद्य पदार्थों को क्यों शामिल करना चाहता है। कुछ सर्वेक्षणों के साथ-साथ बीटी बैंगन और एचटी सरसों की सार्वजनिक बहस से यह स्पष्ट है कि भारत में जीएम खाद्य फसलों की अस्वीकृति है एफएसएसएआई जैसा खाद्य सुरक्षा नियामक हमारी खाद्य श्रृंखला में असुरक्षित खाद्य पदार्थों को क्यों पेश करना चाहता है।
फसल के नुकसान का खतरा भी
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बीटी कॉटन और बीटी बैंगन जैसे फसलों के बीजों को जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए तैयार किया गया था। इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक थी और कीड़े लगने का खतरा नहीं था। बंपर फसल हुई और किसानों की चांदी हो गई, लेकिन कुछ ही हफ्तों में देखा गया कि बीटी कॉटन की फसलों के पत्ते खाकर करीब 1600 भेड़ें मर गई और कई दूसरे जानवर दृष्टिहीन हो गए।
क्या है जीएम फूड?
जेनेटिक इंजीनियरिंग या जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) फूड को यदि आसान भाषा में समझा जाए तो इसका मतलब है कि किसी पेड़-पौधे या जीव के आनुवांशिक या प्राकृतिक गुण को बदलना। इसके तहत डीएनए या जीनोम कोड को बदला जाता है। बायोटेक्नोलॉजी के अंतर्गत जेनेटिक इंजीनियरिंग एक महत्वपूर्ण शाखा मानी जाती है। जेनेटिक इंजीनियरिंग या जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) फूड का मुख्य मकसद अनुवांशिक गुणों को बदलकर ऐसे गुण लाना है जिससे मानव सभ्यता को फायदा हो।


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