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- 'एक देश-एक चुनाव'...
दिल्ली: केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। संभावना है कि इस दौरान 'एक देश-एक चुनाव' के मुद्दे पर संसद में चर्चा की जाएगी। इस बीच संसद से पहले ही छात्र संगठनों में इस विषय को लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, 'एक देश-एक चुनाव' की संभावनाओं पर विचार निमित्त समिति गठन जैसे महत्वपूर्ण कदम द्वारा इस दिशा में आगे बढ़ने से अत्यंत आशान्वित है। छात्र संगठन का कहना है कि वर्तमान में देश में चुनाव सुधारों की दिशा में विभिन्न कदम उठाए जाने आवश्यक हैं, जिससे लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण पक्ष में परिस्थितिजन्य दोषों को दूर किया जा सके।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का कहना है कि उन्होंने समय-समय पर देश की चुनाव व्यवस्था के विभिन्न पक्षों जैसे मताधिकार के प्रयोग, धनबल-बाहुबल को नकारने जैसे विषयों पर युवाओं के बीच जाकर संगोष्ठी और संवाद किए हैं। इसके अलावा विद्यार्थी परिषद का कहना है कि उनके संगठन ने सभी वर्गों की चुनावी प्रतिनिधित्व में उचित सहभागिता, चुनावों में भ्रष्टाचार को खत्म करने जैसे विषयों पर उचित विमर्श के उपरांत देश के शैक्षणिक परिसरों में युवाओं के मध्य चुनाव सुधारों के लिए संवाद हेतु संगोष्ठियां व अन्य रचनात्मक प्रयोग किए।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की नागपुर में 2013 में सम्पन्न हुई राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद में चुनाव सुधार के लिए नीतिगत निर्णय लेने का आह्वान किया गया था। विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने कहा कि देश को स्वाधीनता मिलने के उपरांत शुरुआत में 'एक देश-एक चुनाव' की स्थिति थी, कई विधानसभा व लोकसभा चुनाव साथ हुए लेकिन विभिन्न कारणों से यह क्रम टूट गया। धीरे-धीरे यह स्थिति बनी की देश पूरे समय चुनावी मोड में रहने लगा है।
छात्र संगठन के मुताबिक चुनावी मोड में रहने की स्थिति के कारण कई तरह के निर्णय भी प्रभावित होते हैं, जो कि देश के लिए अहितकारी है। 'एक देश-एक चुनाव' वर्तमान समय में चुनाव सुधारों की दिशा में अति महत्वपूर्ण आवश्यकता है। इस विषय में सभी हितधारकों से उचित राय लेकर चुनाव सुधारों की दिशा में आगे बढ़ना हितकारी है। देश की चुनाव व्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन आना चाहिए, चुनाव सुधारों से भ्रष्टाचार को रोकने में सहायता मिलेगी व विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।