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कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के एक मामले के आरोपी दिनेश यादव को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है
नई दिल्ली: कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के एक मामले के आरोपी दिनेश यादव को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है (Delhi violence case accused Dinesh Yadav acquitted). एडिशनल सेशंस जज पुलस्त्य प्रमाचल ने कहा कि इस मामले में गवाह के रूप में पेश दो पुलिसकर्मियों ने विरोधाभासी बयान दिए हैं. यहां तक कि अभियोजन ने रिकार्ड में दाखिल फोटो की तस्दीक करने के लिए साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी के तहत जरुरी प्रमाण पत्र पेश नहीं किया था.
दिनेश यादव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 436, 454,392,452,188,153ए,427 और 506 के तहत आरोप लगाए गए थे. कोर्ट ने आरोपी को इन सभी आरोपों से बरी करने का आदेश दिया. मामला 25 फरवरी 2020 का है. शिकायतकर्ता इदरीस ने शिकायत की थी कि उसके घर को दंगाइयों की भीड़ ने लूटपाट कर आग के हवाले कर दिया था. इससे उसे करीब 10 लाख रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ था.
कोर्ट ने (Delhi violence case in Karkardooma Court) कहा कि शिकायतकर्ता ने कहीं ये नहीं कहा कि उसने दंगाइयों को देखा है या उसने आरोपी दिनेश यादव की पहचान की हो. अभियोजन ने दो पुलिसकर्मियों के साक्ष्यों पर भरोसा किया जो इलाके में बीट कांस्टेबल थे. दोनों पुलिसकर्मियों ने क्रास-एग्जामिनेशन के दौरान अलग-अलग तथ्य बताए थे. एक पुलिसकर्मी ने कहा कि भागीरथी विहार में आठ बीट थे जबकि दूसरे ने कहा कि उस इलाके में केवल एक बीट था. पुलिसकर्मियों के ऐसे विरोधाभासी बयान इस बात का संदेह पैदा करता है कि उन्हें इलाके की जानकारी थी कि नहीं. ऐसे में आरोपी को दोषी कैसे ठहराया जा सकता है.
etv bharat hindi
Rani Sahu
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