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देश में सेना की तर्ज पर अब 19 मार्च को मनेगा 'सीआरपीएफ डे'

Deepa Sahu
29 Jan 2022 8:55 AM GMT
देश में सेना की तर्ज पर अब 19 मार्च को मनेगा सीआरपीएफ डे
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देश का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल 'केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल' अब सेना की तर्ज पर हर वर्ष 19 मार्च को 'सीआरपीएफ डे' समारोह आयोजित करेगा।

देश का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल 'केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल' अब सेना की तर्ज पर हर वर्ष 19 मार्च को 'सीआरपीएफ डे' समारोह आयोजित करेगा। अभी तक किसी भी अर्धसैनिक बल में 'डे' नहीं मनाया जाता है। इन बलों में 'स्थापना दिवस' मनाने की परंपरा रही है। सीआरपीएफ मुख्यालय ने इसके पीछे तर्क दिया है कि सरदार पटेल ने 1950 में 19 मार्च के दिन ही सीआरपीएफ को झंडा यानी 'प्रेजीडेंट कलर्स' प्रदान किया था। सीआरपीएफ, देश का इकलौता ऐसा अर्धसैनिक बल है, जिसकी स्थापना आजादी से पहले हो गई थी। इस बल के जांबाजों ने युद्ध के मोर्चे पर चीन और पाकिस्तान की सेना को कड़ी टक्कर दी थी। जिस तरह से 'आर्मी डे' पर भव्य परेड होती है, उसी तरह अब हर साल 19 मार्च को 'सीआरपीएफ डे परेड' आयोजित की जाएगी।

सीआरपीएफ के स्थापना दिवस को लेकर कई बार अलग-अलग तिथियां निर्धारित की जाती रही हैं। अगर सभी परिस्थितियां ठीक रहती हैं तो 27 जुलाई को स्थापना दिवस मनाया जाता है। अन्यथा मौसम ठीक होने या मुख्य अतिथि की उपलब्धता के आधार पर इस तिथि को आगे-पीछे सरका दिया जाता है। बता दें कि क्राउन रिप्रजेंटेटिव पुलिस द्वारा भारत की तत्कालीन रियासतों में आंदोलनों एवं राजनीतिक अशांति तथा साम्राज्यिक नीति के रूप में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में लगातार सहायता करने की इच्छा के मद्देनजर, 1936 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मद्रास संकल्प के मद्देनजर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की स्थापना की गई।
सरदार पटेल की थी अहम भूमिका
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, 27 जुलाई 1939 को क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस के रूप में अस्तित्व में आया था। उसके बाद 28 दिसंबर 1949 को सीआरपीएफ अधिनियम के लागू होने पर इसे 'केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल' का दर्जा प्रदान किया गया। आजादी के बाद 28 दिसंबर, 1949 को संसद के एक अधिनियम द्वारा इस बल का नाम 'केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल' रखा गया था। तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने नव स्वतंत्र राष्ट्र की बदलती जरूरतों के अनुसार इस बल के लिए एक बहु आयामी भूमिका की कल्पना की थी। इस तरह से सीआरपीएफ में 19 मार्च, 27 जुलाई व 28 दिसंबर में से किसी एक दिन स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया जाता है। बल मुख्यालय के शीर्ष अधिकारियों और फील्ड फॉर्मेशन के आला अफसरों से बातचीत कर एवं बल की सभी यूनिटों से सुझाव लेकर 19 मार्च की तारीख तय कर दी गई है। इसे 'सीआरपीएफ डे' का नाम दिया गया है।
नौ अप्रैल को शौर्य दिवस
भारत संघ में रियासतों के एकीकरण के दौरान इस बल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत के हॉट स्प्रिंग (लदाख) पर पहली बार 21 अक्तूबर 1959 को चीनी हमले को केरिपुबल ने नाकाम किया। बल के दस जवानों ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उनकी शहादत की याद में देश भर में हर साल 21 अक्तूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1962 के चीनी आक्रमण के दौरान एक बार फिर बल ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना को सहायता प्रदान की। इस आक्रमण के दौरान केरिपुबल के आठ जवान शहीद हुए थे।
वर्ष 1965 में सीआरपीएफ ने कच्छ के रण में सरहद पर पाकिस्तान के नापाक मनसूबों को धराशाही कर दिया था। सीआरपीएफ की चार कंपनियों ने पाकिस्तान की 51वीं इंफेंट्री ब्रिगेड के 3500 जवानों का मुकाबला कर उन्हें पीछे धकेल दिया। पाकिस्तान के 34 सैनिक मारे गए। सीआरपीएफ के छह जवानों ने अपनी शहादत दी थी। बल के अदम्य शौर्य और रण कौशल के चलते हर साल नौ अप्रैल को देश में शौर्य दिवस मनाया जाता है।


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