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अब स्मार्टफोन से स्किन की बीमारियों का चलेगा पता, एम्स ने लॉन्च किया एप

Khushboo Dhruw
28 May 2022 3:55 PM GMT
अब स्मार्टफोन से स्किन की बीमारियों का चलेगा पता, एम्स ने लॉन्च किया एप
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दुनियाभर में स्किन की बीमारियों (Skin Diseases) से हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है. स्किन कैंसर (Skin Cancer) भी काफी खतरनाक होता है. भारत में भी इसके कुछ मामले रिपोर्ट होते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि स्किन की बीमारियों का अगर सही समय पर पता चल जाए तो इलाज़ आसानी से हो सकता है, लेकिन लोगों को स्किन की बीमारियों के लक्षणों और इलाज़ के बारे में जानकारी नहीं होती है. लोगों को स्किन की बीमारियों से बचाने और इलाज़ के लिए नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने एक खास मोबाइल एप लॉन्च किया है. इसकी मदद से स्किन की बीमारियों और स्किन कैंसर का डायग्नोसिस हो सकेगा. इस एप को एम्स और न्यूरिथम लैब ने मिलकर बनाया है

एप को डमाएर्ड नाम गिया है. ये एप डॉक्टरों के लिए मरीज के स्किन की स्थिति को समझने में काफी मदद करेगा.एम्स में वेनेरोलॉजी और त्वचाविज्ञान विभाग में प्रोफेसर डॉ. सोमेश गुप्ता के मुताबिक,शुरुआती रिसर्च में इस एप की सटीकता 80 फीसदी तक देखी गई है. स्किन रोगों के निदान के लिए यह काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.
ऐसे काम करेगा एप
डॉ. का कहना है कि स्किन की किसी भी समस्या से परेशान मरीज को अपनी दाग, धब्बों, स्किन के दानों या अन्य घाव की फोटो लेकर उसे क्लाउड सर्वर पर अपलोड करना होगा. फोटो अपलोड करने के 30 सेकेंड के अंदर ये एप किसी मशीन की तरह तस्वीरों को डॉक्टरों को दिखाएगा और उससे बीमारी की पहचान हो सकेगी. इससे मरीज किसी भी जगह से अपनी फोटों डॉ. को भेज सकेगा. कई मामलों में टेलीमेडिसिन के जरिए भी मरीज को दवाएं बताई जा सकेगी. इस एप के माध्यम से 50 से ज्यादा स्किन रोग की पहचान हो सकेगी.
स्किन कैंसर की भी हो सकेगी पहचान
डॉ. गुप्ता ने कहा कि यह कील मुंहासे, सोरायसिस, विटिलिगो, टिनिया, एक्जिमा, बेसल सेल कार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा, और मेलेनोमा जैसे विभिन्न प्रकार के त्वचा कैंसर का भी पता लगा सकता है. डॉक्टर ने कहा कि यह एप स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है. उन्होंने कहा कि त्वचा रोग वैश्विक स्तर पर चौथी सबसे खतरनाक बीमारी है
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, भारत में केवल 12.5 लाख एलोपैथिक चिकित्सक हैं, जिनमें से केवल 3.71 लाख के पास विशेषज्ञ या स्नातकोत्तर योग्यता है. एप के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में जहां सामान्य चिकित्सक आसानी से उपलब्ध नहीं हैं, वहां स्वास्थ्यकर्मी तत्काल रूप से इलाज़ के लिए हाथ बढ़ा सकेंगे



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