दिल्ली-एनसीआर

दिल्ली-एनसीआर में अब सिर्फ इन 12 तरह के ईंधन इस्तेमाल की होगी इजाजत, वायु प्रदूषण पर लगेगी लगाम, पढ़ें पूरी लिस्ट

Renuka Sahu
25 Jun 2022 2:10 AM GMT
Now only these 12 types of fuel will be allowed in Delhi-NCR, air pollution will be curbed, read the full list
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फाइल फोटो 

दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ 12 प्रकार के ईंधन के इस्तेमाल की इजाजत होगी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ 12 प्रकार के ईंधन के इस्तेमाल की इजाजत होगी। इसमें पेट्रोल-डीजल से लेकर बिजली, सीएनजी और लकड़ी का कोयला तक शामिल है। केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन ने इन सभी ईंधनों और उनके अलग-अलग क्षेत्र में इस्तेमाल के निर्देश जारी किए हैं। दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र को दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्रों में शामिल किया जाता है। इसका बड़ा कारण यहां बड़े पैमाने पर स्थित उद्योग, वाहनों की बड़ी संख्या और बड़े पैमाने पर होने वाले निर्माण कार्य हैं। इन सभी क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन प्रदूषण का एक बड़ा कारण हैं।

पूरे एनसीआर क्षेत्र का एक एयरशेड (एक जैसा वातावरण) माना जाता है। इसे देखते हुए केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने पूरे क्षेत्र में एक जैसे ईंधन के इस्तेमाल के निर्देश जारी किए हैं। आयोग के मुताबिक, जिन जगहों पर पीएनजी का ढांचा मौजूद है, वहां एक अक्तूबर से सिर्फ इन्हीं ईंधनों के इस्तेमाल की इजाजत होगी, जबकि जहां पीएनजी का ढांचा मौजूद नहीं है वहां एक जनवरी 2023 से सिर्फ इन्हीं ईंधनों का इस्तेमाल किया जा सकेगा। जबकि, थर्मल बिजली संयंत्रों में कम सल्फर वाले कोयले के इस्तेमाल को मंजूरी रहेगी।
इन ईंधनों का इस्तेमाल हो सकेगा
1.पेट्रोल (10 पीपीएम सल्फर के साथ बीएस छह) का इस्तेमाल वाहनों के ईंधन के तौर पर
2.डीजल (10 पीपीएम सल्फर के साथ बीएस छह) का इस्तेमाल वाहनों के ईंधन के तौर पर
3.हाइड्रोजन और मीथेन: वाहनों और औद्योगिक ईंधन के तौर पर
4.प्राकृतिक गैस (सीएनजी-पीएनजी-एलएनजी): वाहनों, उद्योगों और घरेलू इस्तेमाल
5.पेट्रोलियम गैस (एलपीजी-प्रोपेन-ब्यूटेन): वाहनों, उद्योगों व घरेलू इस्तेमाल
6.बिजली: वाहनों, उद्योगों, व्यावसायिक व घरेलू इस्तेमाल
7. एवीएशन टरबाइन फ्यूल
8.बायोफ्यूल (बायो-एलकोहॉल, बायो-डीजल, बायो गैस, सीबीजी, बायो-सीएनजी) : उद्योगों, वाहनों और घरेलू इस्तेमाल
9.रिफ्यूज डिराइव्ड फ्यूल (आरडीएफ): ऊर्जा संयंत्र, सीमेंट प्लांट, वेस्ट टू एनर्जी प्लांट
10.फायरवुड (जलावन): बायोमास ब्रिकेट का इस्तेमाल धार्मिक कार्यों के लिए
11.लकड़ी-बंबू चारकोल का इस्तेमाल: होटल, रेस्टोरेंट, बैंक्वेट हॉल में तंदूर और ग्रिल में (कार्बन उत्सर्जन चैनलाइजेशन या कंट्रोल सिस्टम के साथ) और खुले में चलने वाली खान-पान की दुकानों और ढाबे में।
12.लकड़ी का कोयला: कपड़े में इस्त्री करने के लिए वहीं शवदाह गृहों में बिजली, सीएनजी, लकड़ी या बायोमॉस ब्रिकेट का इस्तेमाल
अन्य ईंधन के लिए इजाजत लेनी होगी
आयोग के मुताबिक, कम सल्फर वाले कोयले के इस्तेमाल की इजाजत सिर्फ थर्मल बिजली संयंत्रों को होगी। जबकि, उपरोक्त सूची में निर्धारित ईंधन के अलावा अन्य किसी ईंधन का किसी भी श्रेणी में इस्तेमाल के लिए आयोग से इजाजत लेनी होगी। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग इस पर योग्यता के आधार पर विचार करेगा।
वाहनों का धुआं 42% प्रदूषण के लिए जिम्मेदार
दिल्ली में वाहनों का धुआं प्रदूषण का बड़ा कारण है। लगभग दो साल पहले सफर की ओर से जारी एक शोध के मुताबिक, दिल्ली में आमतौर पर रहने वाले प्रदूषण में वाहनों से निकलने वाले धुएं की हिस्सेदारी 42 फीसदी तक रहती है। वहीं, पराली के सीजन में पराली का धुआं प्रदूषण का एक मुख्य कारक बन जाता है।
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