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अब बैसाखी, व्हीलचेयर व अन्य कई समानो को लेने के लिए सरकार से लेना होगा लाइसेंस
दिल्ली न्यूज़: एक अक्तूबर से देश भर में व्हीलचेयर, स्टिक, बैसाखी और यहां तक की थूकदान अथवा शौच करने वाला पात्र भी ए श्रेणी के मेडिकल डिवाइस श्रेणी में आ जाएगा और इसे बिक्री करने वाले को सरकार से लाइसेंस लेना होगा। दरअसल मेडिकल उपकरणों को ए, बी, सी और डी चार श्रेणियों में बांटा गया है। हर श्रेणी में अलग-अलग प्रकार के मेडिकल डिवाइस शामिल हैं और सभी के लिए अलग नियम तैयार किए गए हैं। मेडिकल डिवाइस तैयार करने, बेचने व वितरण करने वालों को स्टेट लाइसेंसिंग ऑथरिटी में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। सर्जिकल उपकरणों के बिक्री करने वालों के मुताबिक निर्माता कंपनियों की ओर से तैयार किए जा रहे मेडिकल डिवाइसों पर नियंत्रण के लिए थर्ड पार्टी के पास ऑडिट करने की जिम्मेदारी होगी। दरअसल सरकार को लग रहा है कि इस क्षेत्र को नियमित करने के बाद भारत में निवेश बढ़ेगा। मेडिकल डिवाइसों का उत्पादन बढ़ेगा और इससे न सिर्फ देश की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी बल्कि निर्यात भी किया जा सकेगा। कंपनियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे मेडिकल डिवाइसों की कीमतों में कमी आएगी, देश में नौकरियां बढ़ेगी।
ड्रग्स कंट्रोलर को उम्मीद है कि नए नियम लागू होने के बाद मरीजों और जरूरतमंदों को सस्ती, अच्छी क्वालिटी के मेडिकल डिवाइस मिलेंगी। स्टेंट, नी, पेस मेकर, हार्ट वॉल्व के अलावा स्टेथेस्कोप, थर्मामीटर, वॉकर, बैसाखी, मेडिकल स्टिक, हड्डी के मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले सहायक मेडिकल डिवाइसों सहित दूसरे अन्य मेडिकल डिवाइसों की कीमतों पर भी अंकुश लगेगा बल्कि उनकी गुणवत्ता में भी सुधार आएगा। हांलाकि पूरे मसले पर सर्जिकल मैन्युफैक्चरर्स एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप चावला व सचिव हरप्रीत सिंह कहते हैं इससे सभी डिवाइसेस की लागत में वृद्धि हो जाएगी। उन्होने भारत के ड्रग कंट्रोलर को पत्र लिखकर मांग की है कि अमेरिका, कनाडा में भी मेडिकल डिवाइसेस को किसी भी लाइसेंस से दूर रखा है। बी श्रेणी के स्टेरॉइट मेडिकल डिवाइसेज का पंजीकरण अनिवार्य है लेकिन उसकी प्रक्रिया आसान है। जानकारों ने बताया कि अमेरिका में ए व बी श्रेणी की डिवाइसेस पर छूट है, सी श्रेणी की डिवाइसेस को मंजूरी दी जाती है लेकिन रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से थोक व खुदरा विक्रेता अलग हैं।
हरप्रीत सिंह बताते हैं कि सरकार सी और डी श्रेणी के डिवाइसेस को सरकार नियमित करे, उपकरण बनाने वाले निर्माता दुनिया भर में प्रमाणित करने के तरीकों के आधार पर प्रमाणित किया जाए लेकिन मेडिकल डिवाइसेस के ट्रेडर्स को लाइसेंस प्रक्रिया से अलग रखा जाए। उन्होने कहा कि जिन डिवाइसेस के लिए रजिस्ष्ट्रेशन जरूरी हो तो उसे ऑनलाइन सरल तरीके से किया जाए और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भी ऑनलाइन दिया जाए ताकि सरकारी पेचीदगियों में मरीजों को परेशानी न हो। सर्जिकल ट्रेडर्स एसोसिएशन के लोगों ने माना कि विदेशी निर्माताओं को रजिस्ट्रेशन के लिए बाध्य करने से जहां वे रजिस्ट्रेशन से बच रहे हैं वहीं कई डिवाइसेस पर रजिस्टे्रशन शुल्क आदि के बाद कई गुना वृद्धि होने के अनुमान हैं। खुदरा दुकानदारों ने बताया कि लाइसेंस शुल्क 28 से 140 गुना तक बढ़ जाएंगे और इससे कीमतों में वृद्धि हो जाएगी जिससे इंपोर्टेड डिवाइसेस मुश्किल से मिलेंगी क्योंकि कई डिवाइस इसलिए निर्माता छोटे बाजार के मद्दे नजर नहीं बनाएंगे और उन्हें इंपोर्ट इसलिए नहीं करेंगे क्योंकि उन्हें कानूनी पेंच का सामना करना पड़ेगा।