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अब बिल्डर की गलत नीति का शिकार नही होंगे घर खरीदार, अथॉरिटी ने किए बड़े बदलाव
एनसीआर नॉएडा न्यूज़: नोएडा अथॉरिटी ने जमीन आवंटन को लेकर बड़े बदलाव किए हैं। यह बदलाव कैग रिपोर्ट (CAG Report) में नोएडा अथॉरिटी के कार्यों पर आपत्ति दाखिल करने के बाद किए गए हैं। इन बदलाव के बाद अब घर खरीदारों (Home Buyers) को काफी राहत मिलेगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अब घर खरीदार ठगी का शिकार नहीं हो सकेंगे और उनको अपने घर पर काफी जल्द कब्जा मिल जाएगा।
क्या है प्राधिकरण की नई नीति: नई नीति के अनुसार बिल्डर को अब ग्रुप हाउसिंग के भूखंड के आवंटन के बाद 90 दिन में पूरा पैसा जमा करना होगा। इसके अलावा हर तीन माह में होने वाले काम का ब्योरा भी प्राधिकरण को उपलब्ध करवाना होगा। प्राधिकरण ने तय किया है कि अब दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी की तर्ज पर प्राधिकरण आवंटन करेगा और बिल्डरों से पैसा वसूला जाएगा।
कैग ने 30 करोड़ रूपए के घोटाले की आपत्ति जताई: नोएडा प्राधिकरण में जमीन आवंटन में हुए घोटालों को लेकर कैग ने बड़ी आपत्ति उठाई थी। जिसके मुताबिक 30 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा का घोटाला होने की रिपोर्ट शासन को दी थी। जिसमें सिफारिश की थी कि प्राधिकरण को अपनी आवंटन नीति को बदलना चाहिए। कैग की इस रिपोर्ट के बाद प्राधिकरण ने अपनी आवंटन नीति में बड़े बदलाव किए हैं और इन बदलावों पर गुरुवार को हुई बोर्ड बैठक में भी मोहर लग चुकी है।
नोएडा प्राधिकरण की सीईओ का बयान: नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु महेश्वरी ने बताया कि ग्रुप हाउसिंग भूखंड आवंटन के लिए प्रस्तावित योजना को बिल्डर और खरीददारों के हितों के अनुकूल बनाया गया है। इसके तहत अब कंसोरटियम मेम्बर को अधिभोग लेने तक 100 प्रतिशत अंशधारिता बनाए रखना अनिवार्य होगा। भूखंड आवंटन पर प्रीमियम के मद में देय सभी राशि एक मुश्त आवंटन की तिथि से 90 दिन के अंदर जमा करानी होगी। विकासकर्ता को एस्क्रो एकाउंट खुलवाना अनिवार्य होगा।
कैग रिपोर्ट के अनुसार आवंटन में हुआ बड़ा खेल: कैग रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2005-06 से 2016-17 तक बिल्डरों को कुल 67 आवंटन किए गए। उसके बाद मार्च 2020 तक कोई आवंटन नहीं किया गया। इनमें से भी 49 आवंटन 2008-09 से 2010-11 की अवधी में हुए। इन 49 आवंटनों में से सिर्फ 42 में केवर दो निविदाएं प्राप्त हुई, इनमें से 15 में सहभागी निविदाकर्ता एक समान या एक ही समूह के थे। 15 प्रकरणों में निविदा मूल्य नोएडा प्राधिकरण द्वारा निर्धारित मूल्य के बहुत करीब थे और वह शून्य से 5.19 प्रतिशत तक थे।
साभार: Mayank Tawer