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केंद्र, राज्य सरकारों को विज्ञापनों पर सरकारी धन के दुरुपयोग मामले में नोटिस
दिल्ली न्यूज़: उच्चतम न्यायालय ने सरकारी विज्ञापनों पर सार्वजनिक धन के इस्तेमाल के मामले में केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने एनजीओ 'कॉमन कॉज' की एक याचिका पर केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी किया। एनजीओ ने उन सरकारों को पर विज्ञापनों के लिए सार्वजनिक धन के इस्तेमाल को पूरी तरह से दुर्भावनापूर्ण, मनमाना होने का आरोप लगाते हुए इस पर लगाम की गुहार लगाई है। अधिवक्ता प्रशांत भूषण और चेरिल डिसूजा के नेतृत्व में याचिकाकर्ता ने राज्य सरकारों को अपने क्षेत्र के बाहर विज्ञापन प्रकाशित करने से रोकने के लिए एक आदेश देने की गुहार लगाई है। याचिकाकर्ता ने राज्य के हितधारकों से संबंधित व्यापार शिखर सम्मेलन / सम्मेलन के लिए आमंत्रित करने या पर्यटन और निजी निवेश को आकर्षित करने वाले विज्ञापन के मद के खर्चे को अपनी मांग में शामिल नहीं किया है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और राज्यों से जवाब मांगा, क्योंकि याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि इस मामले में पद का दुरुपयोग किया गया है।
श्री भूषण ने कहा कि शीर्ष अदालत ने 13 मई 2015 को 'कॉमन कॉज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया' मामले में अपने फैसले में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए सरकारी विज्ञापनों को विनियमित करने के उद्देश्य से कई दिशानिर्देश जारी किए थे। इस बीच, सरकारों ने अब ऐसे तरीके और साधन तैयार कर लिए हैं, जिनके माध्यम से विज्ञापन प्रकाशित किए जा रहे हैं। इस तरह से शीर्ष अदालत के निर्णय के पीछे के उद्देश्य को प्रभावी ढंग से विफल कर दिया गया है। याचिकाकर्ताओं ने ऐसे विज्ञापनों को सरकारी विज्ञापनों के रुप में प्रकाशन पर रोक लगाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।