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नॉएडा प्राधिकरण एक महीने में ट्विन टावर दोषियों की विभागीय जांच पूरी कर सरकार को रिपोर्ट भेजेगा
एनसीआर नॉएडा न्यूज़: आसमान को छूती हुई ट्विन टावर (Twin Towers) बिल्डिंग जमीन पर गिर गई है, लेकिन अभी तक उन अफसरों पर कार्रवाई नहीं हुई है। जिनकी वजह से यह भ्रष्टाचार की इमारत बनी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक्शन के बाद आरोपी अधिकारियों की मुश्किल और बढ़ने वाली है। योगी के दखल के बाद नोएडा प्राधिकरण ने भी इस प्रकरण में तेजी ला दी है। प्राधिकरण एक महीने में विभागीय जांच पूरी कर शासन को भेज देगा। इससे पहले बार-बार कागज मांगकर समय बर्बाद कर रहे आरोपी अधिकारियों को अब अल्टीमेटम दिया गया है।
एसीईओ प्रवीण मिश्र कर रहे जांच: ट्विन टावर प्रकरण में अलग-अलग तीन बार हुए नक्शों में बदलाव, अतिरिक्त एफएआर देना समेत अन्य सभी काम के लिए जिम्मेदार 26 अधिकारियों की नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ प्रवीण मिश्र जांच कर रहे हैं। इनमें नियोजन व वर्क सर्किल के अधिकारी शामिल हैं। ये सभी अधिकारी नोएडा प्राधिकरण की सेवा में कार्यरत रहे हैं। इनकी जांच करीब नौ महीने से चल रहे हैं। अब संबंधित अधिकारी आरोप पत्रों के जबाव देने के बजाए अलग-अलग कागज मांगकर या बिना कागज मांगे ही अतिरिक्त समय की मांग कर समय बर्बाद कर रहे हैं।
केवल तीन अधिकारियों के आए जवाब: प्राधिकरण के अधिकारियों की मानें तो 26 में से सिर्फ 3 अधिकारियों ने ही ठीक ढंग से जबाव दिया है। अब ट्विन टावर ध्वस्तीकरण के बाद शासन स्तर से आरोपी अधिकारियों पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है। ऐसे में नोएडा प्राधिकरण की ओर आरोपी अधिकारियों को अल्टीमेटम जारी कर दिया गया है। साथ ही एक सप्ताह के अंदर जो कागज मांगेंगे, उनको प्राधिकरण मुहैया कराएगा। इसके बाद कागज मांगने की प्रक्रिया पर पूरी तरह रोक लगा दी जाएगी।
योगी सरकार ने पहले ही करवा ली जांच: उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री कार्यालय से 26 दोषी अफसरों की सूची जारी हुई है। यह सभी वह अधिकारी हैं, जिनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार की इमारत ट्विन टावर को बनाया गया था। इनके संरक्षण में ही इमारत को बनाया गया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था। साथ ही प्रदेश सरकार को एसआईटी का गठन कर मामले की जांच कराने का आदेश दिया था। शासन ने सितंबर 2021 में जांच के लिए 4 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था। जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर 4 अक्तूबर 2021 को इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया था। इस प्रकरण में जिन 26 अधिकारियों पर आरोप है कि उनमें से 20 सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इनमे से 2 की मौत हो चुकी है और 4 सेवा में थे, उन्हें निलंबित किया जा चुका है।
नोएडा अथॉरिटी में तैनात रहे अफसर:
मोहिंदर सिंह, सीईओ नोएडा प्राधिकरण (रिटायर्ड)
एसके द्विवेदी, सीईओ नोएडा प्राधिकरण (रिटायर्ड)
आरपी अरोड़ा एसीईओ नोएडा प्राधिकरण (रिटायर्ड)
यशपाल सिंह, विशेष कार्याधिकारी (रिटायर्ड)
मैराजुद्दीन, प्लानिंग असिस्टेंट (रिटायर्ड)
ऋतुराज व्यास, सहयुक्त नगर नियोजक (वर्तमान में यमुना प्राधिकरण में प्रभारी महाप्रबंधक)
एसके मिश्रा, नगर नियोजक (रिटायर्ड)
राजपाल कौशिक, वरिष्ठ नगर नियोजक (रिटायर्ड)
त्रिभुवन सिंह, मुख्य वास्तुविद नियोजक (रिटायर्ड)
शैलेंद्र कैरे, उपमहाप्रबन्धक ग्रुप हाउसिंग (रिटायर्ड)
बाबूराम, परियोजना अभियंता (रिटायर्ड)
टीएन पटेल, प्लानिंग असिस्टेंट (सेवानिवृत्त)
वीए देवपुजारी, मुख्य वास्तुविद नियोजक (सेवानिवृत्त)
अनीता, प्लानिंग असिस्टेंट (वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण)
एनके कपूर, एसोसिएट आर्किटेक्ट (सेवानिवृत्त)
मुकेश गोयल, नियोजन सहायक (वर्तमान में प्रबंधक नियोजक के पद पर गीडा में कार्यरत)
प्रवीण श्रीवास्तव, सहायक वास्तुविद (सेवानिवृत्त)
ज्ञानचंद, विधि अधिकारी (सेवानिवृत्त)
राजेश कुमार, विधि सलाहकार (सेवानिवृत्त)
डीपी भारद्वाज, प्लानिंग असिस्टेंट
विमला सिंह, सहयुक्त नगर नियोजक
विपिन गौड़, महाप्रबंधक (सेवानिवृत्त)
एम.सी.त्यागी, परियोजना अभियंता (सेवानिवृत्त)
के.के.पांडेय, मुख्य परियोजना अभियंता
पीएन बाथम, अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी
एसी सिंह, वित्त नियंत्रक (सेवानिवृत्त)