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New Delhi: दिल्ली विधानसभा का दो दिनी सत्र आज से शुरू होगा
दिल्ली: दिल्ली विधानसभा का दो दिवसीय सत्र आज से शुरू हो रहा है. 26 और 27 सितंबर को होने वाले इस सत्र पर बीजेपी (BJP) की खास नजर है. ऐसा पहली बार होगा जब बतौर मुख्यमंत्री आतिशी होंगी तो वहीं अरविंद केजरीवाल सिर्फ विधायक के तौर पर सदन में मौजूद रहेंगे।
खास बात ये है कि केजरीवाल क्या उसी सीट पर बैठेंगे या फिर कोई अलग सीट निर्धारित होती है या फिर केजरीवाल की कुर्सी खाली रखी जाती है. सदन में मुख्यमंत्री की कुर्सी स्पीकर के आसन के ठीक सामने होती है तो वहीं नेता विपक्ष की कुर्सी सीएम की कुर्सी के 90 डिग्री पर होती है।
इससे पहले सोमवार को सीएम की कुर्सी संभालने के साथ ही आतिशी ने कहा, ‘जिस तरह भरत जी ने खड़ाऊं रखकर सिंहासन संभाला उसी तरह मैं सीएम की कुर्सी संभालूंगी.’ इस दौरान उनके बगल में एक खाली कुर्सी भी नजर आई. उन्होंने कहा कि ये कुर्सी केजरीवाल की वापसी तक इसी कमरे में रहेगी और इस कुर्सी को केजरीवाल का इंतजार रहेगा।
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि भाजपा के सभी विधायक कल से शुरू होने वाले दिल्ली विधानसभा के सत्र में दिल्ली की 2 करोड़ जनता की समस्याओं पर चर्चा करने और सरकार को इन सब पर जवाब देने के लिए मजबूर करेंगे. उन्होंने कहा कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार अब ‘भ्रष्ट पार्टी’ की सरकार बन चुकी है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कल से शुरू होने जा रहे विधानसभा सत्र में विपक्ष आक्रामक रवैया अपनाते हुए 14 मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगेगा।
वो 14 मुद्दे जिन पर दिल्ली सरकार को घेरेगा विपक्ष
1. मानसून की बारिश में 50 लोगों की मौत
2. कैग की लंबित 11 रिपोर्ट्स
3. 95,000 गरीबों को नहीं दिए राशन कार्ड्स
4. पीने के पानी की भारी किल्लत
5. बुजुर्गों को पेंशन
6. प्रदूषण का बढ़ता स्तर
7. लचर परिवहन व्यवस्था
8. छठा दिल्ली वित्त आयोग
9. दिल्ली जल बोर्ड का 73000 करोड़ का कर्ज
10. अस्पतालों के निर्माण में भ्रष्टाचार
11. डीयू के 12 कॉलेजों का फंड रोका
12. DSEU में फर्जी नियुक्तियां
13. भाजपा विधायकों के साथ सौतेला व्यवहार
14. केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू नहीं किया
‘सरकार ने जेल से चल सकती है, न बेल से’
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर तंज कसते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जेल से सरकार चलाने का दम भरने वाले केजरीवाल को यह बात समझने में बहुत देर लग गई कि सरकार न तो जेल से चल सकती है और न ही बेल से. इसी कारण उन्हें मजबूरी में इस्तीफा देना पड़ा. आम आदमी पार्टी के नेता सदन में जनता के मुद्दों पर चर्चा नहीं करना चाहते हैं इसलिए प्रश्न काल का प्रावधान ही नहीं किया जाता है।