- Home
- /
- दिल्ली-एनसीआर
- /
- NEET प्रवेश परीक्षा:...
दिल्ली-एनसीआर
NEET प्रवेश परीक्षा: OBC और EWS को आरक्षण देने के फैसले से संबंधित याचिकाओं पर SC का फैसला सुरक्षित
Deepa Sahu
6 Jan 2022 12:06 PM GMT
x
सुप्रीम कोर्ट ने सभी मेडिकल कालेजों में नीट दाखिले के लिए अखिल भारतीय कोटा सीटों में ओबीसी के लिए 27 फीसद और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 10 फीसद आरक्षण प्रदान करने के केंद्र सरकार के फैसले से संबंधित याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रख लिया है।
नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने सभी मेडिकल कालेजों में नीट दाखिले के लिए अखिल भारतीय कोटा सीटों में ओबीसी के लिए 27 फीसद और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 10 फीसद आरक्षण प्रदान करने के केंद्र सरकार के फैसले से संबंधित याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित रख लिया है। मालूम हो कि शीर्ष अदालत के समक्ष मामला लंबित होने के कारण NEET-PG काउंसलिंग रोक दी गई है।
उधर नीट-पीजी काउंसलिंग तत्काल शुरू किए जाने की मांग करते हुए डाक्टरों के एक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। फेडरेशन आफ रेजिडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) ने लंबित याचिका में पक्ष बनाए जाने की गुजारिश करते हुए कहा है कि नीट-पीजी काउंसलिंग तत्काल शुरू करने की जरूरत है। एसोसिएशन का कहना है कि प्रक्रिया के अंत में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण मानदंड में संशोधन से अंतिम चयन प्रक्रिया में और देरी होगी।
Supreme Court reserves order on pleas relating to Centre's decision of providing 27% reservation for OBCs and 10% for EWS category in All-India Quota seats for the admission in NEET for all medical seats. NEET-PG counseling is on hold as the case was pending before the top court. pic.twitter.com/olLxSxaiSz
— ANI (@ANI) January 6, 2022
फेडरेशन आफ रेजिडेंट डाक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) का कहना है कि हर साल लगभग 45 हजार उम्मीदवारों को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (स्नातकोत्तर) के माध्यम से स्नातकोत्तर डाक्टरों के रूप में चुना जाता है। साल 2021 में इस प्रक्रिया को रोक दिया गया। चूंकि इस साल किसी भी जूनियर डाक्टर को शामिल नहीं किया गया है इसलिए दूसरे और तीसरे वर्ष के पीजी डाक्टर मरीजों को देख रहे हैं। ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि डाक्टरों को हर हफ्ते 80 घंटे से अधिक काम करना पड़ रहा है।
FORDA का कहना है कि मौजूदा वक्त में कई डाक्टर कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। बता दें कि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम तीन वर्षों से अधिक का होता है। प्रथम वर्ष के स्नातकोत्तर डाक्टरों को शामिल करने में देरी से स्नातकोत्तर चिकित्सा कार्यबल में लगभग 33 फीसद चिकित्सकों की कमी हुई है।
संगठन (Federation of Resident Doctors' Association, FORDA) ने ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस के आरक्षण के मुद्दे पर कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से गठित की गई तीन सदस्यीय समिति का सुझाव उचित है कि आरक्षण के मौजूदा कार्यक्रम में बदलाव अगले शैक्षणिक सत्र से लागू किया जाना उचित होगा।
Next Story