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एक दिन में 40 सार्वजनिक स्थलों के नाम बदले, मेयर ने हौज काजी चौक का नाम वापस लिया

Renuka Sahu
10 March 2022 3:35 AM GMT
एक दिन में 40 सार्वजनिक स्थलों के नाम बदले, मेयर ने हौज काजी चौक का नाम वापस लिया
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फाइल फोटो 

नगर निगम चुनाव से पहले सड़कों से लेकर पार्कों तक नाम की राजनीति शुरू हो गई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नगर निगम चुनाव से पहले सड़कों से लेकर पार्कों तक नाम की राजनीति शुरू हो गई है। इस कड़ी में उत्तरी निगम ने बुधवार को राजधानी के 40 से अधिक सार्वजनिक स्थलों के नाम बदल दिए। निगम ने नए नामों में स्वतंत्रता सेनानियों को शामिल किया है। इसमें भगत सिंह, ऊधम सिंह और सुभाष चंद्र बोस, संविधान निर्माता बीआर आंबेडकर और महर्षि वाल्मीकि सहित विभिन्न व्यक्तित्वों के नाम शामिल किए गए हैं।

निगम ने पीतमपुरा से शालीमार बाग और चांदनी चौक से सिविल लाइंस तक कई सार्वजनिक स्थलों के नाम बदले हैं। जिन व्यक्तित्वों और नेताओं के नाम पर सड़कों, पार्कों और चौकों का नाम रखा गया है उनमें सर छोटू राम, गुर्जर राजा मिहिर भोज और सिख आध्यात्मिक गुरु गोबिंद सिंह भी शामिल हैं।
मेयर ने हौज काजी चौक का नाम बदलने का प्रस्ताव वापस लिया
उत्तरी दिल्ली नगर निगम के महापौर ने हौज काजी का नाम बदलने का प्रस्ताव वापस ले लिया है। यह निर्णय उन्होंने सोशल मीडिया पर लोगों के विरोध का सामना करने के बाद लिया है।
आप पार्षद राकेश कुमार के प्रस्ताव के मुताबिक, इस जगह का नाम हरि चंद वर्मा चौक रखा जाना था। उपायुक्त द्वारा नौ मार्च को जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि यह सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि मेयर ने तत्काल प्रभाव से चौक का नाम बदलने के प्रस्ताव का अग्रिम अनुमोदन वापस ले लिया है। इस प्रस्ताव को सोशल मीडिया पर कई लोगों की तीखी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा।
प्रस्ताव को लेकर चावड़ी बाजार और लाल कुआं के निवासियों ने चिंता व्यक्त की थी। वहीं, दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने भी इस कदम का विरोध किया था। उन्होंने एक बयान में कहा कि उनकी जानकारी में आया था कि पार्षद राकेश कुमार के प्रस्ताव पर पुरानी दिल्ली के ऐतिहासिक हौज काजी का नाम बदलकर हरि चंद वर्मा चौक करने की अग्रिम मंजूरी दी गई है, जिसका वह कड़ा विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि हौज काजी एक ऐतिहासिक नाम है और इससे जुड़ा इतिहास है। कानून के अनुसार नाम नहीं बदल सकते हैं।
तीनों निगमों ने हंगामे के बीच पास किए सभी प्रस्ताव
तीनों निगमों ने बुधवार को हंगामे के बीच सभी प्रस्ताव पास कर दिए। बुधवार को उत्तरी और दक्षिणी निगम की सदन की, जबकि पूर्वी निगम की स्थायी समिति की बैठक थी। हंगामे के कारण उत्तरी निगम की बैठक महज पैंतालीस मिनट चल पाई। दक्षिणी निगम की बैठक भी बीच में रोकनी पड़ी। महापौर ने दोबारा चर्चा शुरू कराने की कोशिश की, लेकिन विपक्ष ने वाकआउट कर दिया। पूर्वी निगम में भी यही हाल रहा।
चुनाव की तारीख की घोषणा होने की चर्चाओं के बीच सुबह नौ बजे उत्तरी निगम ने सदन की बैठक बुलाई। बैठक में सत्ता पक्ष ने शराब नीति पर चर्चा शुरू की जिसका आप केे पार्षदों ने विरोध किया। उधर, डीबीसी कर्मियों के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग करते हुए कांग्रेसी पार्षद धरने पर बैठ गए। लेकिन पक्ष शराब नीति पर चर्चा करने पर अड़ा रहा। ऐसे में पक्ष-विपक्ष आपस में भिड़ गए। आप पार्षदों ने पर्चे फाड़कर हवा में उड़ा दिए और महापौर के सामने नारेबाजी करने लगे। इस बीच महापौर राजा इकबाल सिंह ने शोरशराबे के बीच सभी प्रस्ताव पास करा दिए।'
हंगामे से बैठक की शुरुआत : दोपहर करीब ढाई बजे दक्षिणी निगम की बैठक शुरू हुई। बैठक की शुरुआत हंगामे से हुई। आप पार्षद महापौर के सामने सत्ता पक्ष पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने लगे। महापौर मुकेश सूर्यान ने नेेता विपक्ष प्रेम चौहान को शांतिपूर्वक अपना पक्ष रखने के लिए कहा। हंगामा नहीं थमता देख उन्होंने सभी प्रस्ताव पास करा लिए और पांच मिनट के लिए सदन की कार्यवाही रोक दी।
पूर्वी निगम के 37 पार्कों में खुलेंगे मिल्कबूथ
पूर्वी निगम की स्थायी समिति की बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पास हुए। महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल ने बताया कि पार्कों के रखरखाव और सौंदर्यीकरण के लिए पूर्वी दिल्ली के 37 पार्कों में अमूल कंपनी मिल्क बूथ खोलेगी। अमूल कंपनी निगम को सामान्य लाइसेंस फीस देगी और पार्क के रखरखाव व सफाई का पूरा ध्यान रखेगा।
मनोरंजन केंद्र में चलेगा कौशल विकास केंद्र
पूर्वी निगम की स्थायी समिति ने तय किया है कि कड़कड़डूमा गांव स्थित मनोरंजन केंद्र में कौशल विकास केन्द्र चलेगा। इस केंद्र को गैर सरकारी संस्था चलाएगी। इसमें बिजली, पानी, सफाई और चौकीदार की नियुक्ति संस्था करेगी, जहां स्थानीय नागरिकों को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाएगा।
निगम से जुड़े विषयों पर चर्चा करने से बचती रही भाजपा : आप
उत्तरी निगम में नेता विपक्ष विकास गोयल ने कहा कि महापौर ने विपक्ष के विषयों पर चर्चा को नकार दिया और भाजपा द्वारा दिल्ली सरकार की आबकारी नीति और शराब के ठेकों पर चर्चा करवाने के लिए लगाए गए अल्पकालिक प्रश्न को स्वीकारा। भाजपा निगम से जुड़े विषयों पर चर्चा करने से बचती रही।
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