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एमसीडी लुटियन जोन में गिरे पेड़ उठाने में एनडीएमसी का दे रही है साथ, तूफानी हवाओं से हुआ था नुकसान
दिल्ली न्यूज़: बीते सप्ताह 30 मई को दिल्ली में चलने वाली तूफानी हवाओं ने दिल्ली की स्पीड पर लगभग ब्रेक लगा दिया था। इस तूफान में सबसे ज्यादा परेशानी लुटियन जोन इलाके को भुगतनी पड़ी जहां करीब 100 पेड़ और हजारों शाखाएं टूट कर गिर गईं। दरअसल अब सड़कों को जाम से मुक्त करवाने व लोगों को असुविधा ना हो इसे देखते हुए टूटे पेड़ों व शाखाओं को उठाने के लिए नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का सहारा लेना पड़ रहा है। बावजूद इसके गुरूवार तक 40 फीसदी पेड़ों व शाखाओं को ही लुटियन जोन की सड़कों से उठाया जा सका है।
टूटे पेड़ों को रखने के लिए बनाए एनडीएमसी ने तीन प्वाइंट: बता दें कि एनडीएमसी के पास मशीनरी व कर्मचारियों का अभाव पहले से ही है, इसके अलावा इस प्रकार की आपदा से निपटने के लिए एनडीएमसी ने किसी प्रकार की कोई पूर्व तैयारी नहीं की थी। जिसके चलते एनडीएमसी को एमसीडी का सहयोग लेना पड़ा है। अभी पेड़ों को हटाकर एनडीएमसी के तीन प्वाइंट पर ले जाया जा रहा है। ये तीनों प्वाइंट हैं गुरूद्वारा बंग्ला साहिब नर्सरी, बिरला मंदिर टूरिस्ट पार्क, अर्जुन दास कैंप राजनगर। गोल डाकखाने से अशोक रोड़ व फिरोजशाह रोड़ जहां सबसे ज्यादा पेड़ गिरे थे वहां पेड़ हटाने के लिए एमसीडी को लगाया गया है। बता दें कि इस तूफान ने सबसे ज्यादा जामुन, इमली, नीम व पीपल के पेड़ों को नुकसान पहुंचाया है।
एनडीएमसी के लिए ये इमरजेंसी : भूपेंद्र भल्ला, चेयरमैन एनडीएमसी: दिल्ली में आए तूफान से गिरे पेड़ एनडीएमसी के लिए इमरजेंसी की तरह हैं। लगभग सभी सड़कें पेड़ों के गिरने से प्रभावित हुईं थीं। ऐसे में नागरिकों को असुविधा का सामना ना करना पड़े, इसे ध्यान में रखते हुए हमने कई एजेंसियों का सहारा लिया है। ताकि स्पीड से इस काम को खत्म किया जा सके। भविष्य में ऐसी परेशानियों से निपटने की तैयारी भी की जाएगी।
कंक्रीट बढऩे व पेड़ों की कैनोपी अधिक होने से टूटे पेड़ : एस. चिल्लैया
एनडीएमसी उद्यान विभाग के डायरेक्टर एस. चिल्लैया से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कंक्रीट लगातार बढऩे व पेड़ों की कैनोपी अधिक होने की वजह से पेड़ टूट गए हैं। इनमें से अधिकतर पेड़ हेरिटेज हैं, जिनकी कंटाई-छंटाई की परमिशन वन विभाग से नहीं मिल पाई थी।
हमने पेड़ की छंटनी के लिए लगातार गुहार लगाई : प्रीतम धारीवाल, अध्यक्ष आरडब्ल्यूए फेडरेशन: यह एनडीएमसी व वन विभाग की नाकामी है। पिछले दस सालों में यह सबसे बड़ी घटना हुई है। हम बराबर गुहार लगाते रहे हैं कि पेड़ का ऊपरी हिस्सा बहुत भारी हो चुका है और इसकी गहन छंटाई की जरूरत है।
साल 1982 में हुई थी गहन छंटाई : के.सी. शर्मा, पूर्व एनडीएमसी डायरेक्टर व पर्यावरविद्
मैं एनडीएमसी का पहला उद्यान विभाग का डायरेक्टर रहा हूं। साल 1982 में भी ऐसी समस्या आने पर मैंने 40 हजार पेड़ों की गहन छंटाई करवाई थी, जिसकी वजह से मेरी शिकायत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक भी पहुंची थी। लगातार पेड़ों की छंटाई को लेकर एनडीएमसी को बताता रहा हूं लेकिन मेरी बात पर गौर नहीं किया गया। सड़क पर लगे करीब 45 हजार पेड़ अभी भी खतरे में हैं और दोबारा ऐसा हादसा हो सकता है।