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एमसीडी एक बार फिर चुनाव की तैयारियों में जुटा, अगले तीन दिन में हो सकता है मेयर चुनाव
दिल्ली न्यूज़: मेयर चुनाव के दौरान एमसीडी सदन में लगातार दो बार हंगामा और मारपीट के बाद एमसीडी एक बार फिर चुनाव की तैयारियों में जुट गया है। एमसीडी अफसरों ने मेयर चुनाव के लिए नई तारीख तय करने के लिए फाइल दिल्ली सरकार को भेजी है। एमसीडी के लॉ अफसरों का कहना है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद भी मेयर चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ने वाला।
एमसीडी के लॉ विभाग के अफसरों के अनुसार, मेयर चुनाव को लेकर अभी तक कोई अड़चन नहीं है। ऐसा इसलिए कि सत्ता पक्ष ने मेयर चुनाव कराने के लिए ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट ने इस मामले में तीन फरवरी को सुनवाई के लिए कहा है। लेकिन, चुनाव को लेकर कोई बात नहीं कही है। ऐसे में एमसीडी चुनाव कराने के लिए के लिए स्वतंत्र है। म्युनिसिपल ऑफिस के अफसरों का कहना है कि मेयर चुनाव के लिए उन्होंने नई तारीख तय करने की मांग की है। फाइल दिल्ली सरकार के पास भेज भी दी गई है। दिल्ली सरकार के माध्यम से ही फाइल उपराज्यपाल ऑफिस तक पहुंचेंगी। उपराज्यपाल जिस दिन भी चुनाव की तारीख की घोषणा करते हैं, उसी दिन एमसीडी चुनाव के लिए तैयार है।
एमसीडी अफसरों का कहना है कि मेयर चुनाव को लेकर अब लंबी – चौड़ी कोई प्रक्रिया बाकी नहीं है। सबसे बड़ा काम 250 निर्वाचित पार्षदों का शपथ ग्रहण कराना था। यह काम 24 जनवरी को पूरा हो चुका है। सिर्फ मेयर चुनाव की प्रक्रिया ही बाकी रह गई है। इस काम में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। ऐसे में यह संभव है कि चुनाव अगले तीन दिन में हो सकते हैं। उधर, इस मामले में एलजी ऑफिस के सूत्रों का कहना है कि अभी तक उन्हें एमसीडी की फाइल नहीं मिली है। जैसे ही फाइल एलजी तक पहुंचेगी, उसे तुरंत पास कर दिया जाएगा।
मेयर चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट में 3 को होगी सुनवाई
मेयर चुनाव के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने 3 फरवरी को सुनवाई का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच के सामने आम आदमी पार्टी नेता और मेयर पद की उम्मीदवार शैली ओबेरॉय की ओर से यह मुद्दा उठाया गया। सुप्रीम कोर्ट के सामने गुहार लगाई गई कि मेयर पद के चुनाव टाइम बाउंड तरीके से सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने शुक्रवार को मामला उठाए जाने के बाद कहा कि वह इसे 3 फरवरी को सुनवाई के लिए लिस्ट करने का निर्देश देते हैं। यानी इस मामले में 3 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। पिछले मंगलवार को मेयर पद का चुनाव नहीं हो पाया था। एलजी द्वारा नियुक्त पीठासीन अधिकारी ने सदन की बैठक तब अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया था जब बैठक के दौरान कुछ पार्षदों ने हंगामा किया था। इसके बाद यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।
नवनिर्वाचित पार्षदों की पहली बैठक 6 जनवरी को हुई थी, लेकिन तब भी हंगामे के कारण बैठक स्थगित हो गई थी। इसके बाद 24 जनवरी को सदन की बैठक हुई इस दिन मेयर का चुनाव होना निश्चित था, लेकिन पार्षदों के हंगामे के बाद बैठक स्थगित हो गई। चीफ जस्टिस के सामने आप की मेयर कैंडिडेट ओबेरॉय की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने यह मामला उठाया और कहा कि दिल्ली मेयर चुनाव समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित कराए जाने का निर्देश दिया जाए। चीफ जस्टिस ने कहा कि वह 3 फरवरी को सुनवाई करेंगे। आप की मेयर प्रत्याशी डॉ. शैली ओबेरॉय ने समयबद्ध तरीके से चुनाव की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आप का आरोप है कि बीजेपी जानबूझकर मेयर चुनाव में देरी करवा रही है, ताकि एमसीडी पर केंद्र के माध्यम से उनका कंट्रोल बना रहे। एमसीडी चुनाव के परिणाम 7 दिसंबर को आए थे और अभी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव होने बाकी हैं।
आप ने जताया आभार
सुप्रीम कोर्ट में 3 फरवरी को मेयर चुनाव की सुनवाई को लेकर आम आदमी पार्टी ने आभार जताया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि अब पूरे देश में यह बात साफ हो गई है कि आम आदमी पार्टी मेयर का चुनाव कराना चाहती है, जबकि बीजेपी एमसीडी पर अवैध तरीके से अपना कब्जा कायम रखना चाहती है। इसलिए आम आदमी पार्टी को देश की सबसे बड़ी अदालत में जाना पड़ा। हमने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि एमसीडी के मेयर, डिप्टी मेयर और स्टैंडिंग कमिटी के सदस्यों का चुनाव समयबद्ध तरीके से कराया जाए और मनोनीत पार्षदों को वोटिंग से रोका जाए। संविधान और एमसीडी एक्ट में भी उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं है, लेकिन बीजेपी वाले संविधान और कानून को नहीं मानते हैं। वो मेयर चुनाव में मनोनीत पार्षदों से भी वोट डलवाना चाहते हैं। आम आदमी पार्टी ने मेयर चुनाव जल्दी कराने के लिए अपनी मेयर पद की प्रत्याशी डॉ. शैली ओबेरॉय के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली की जनता ने एमसीडी में आम आदमी पार्टी को बहुमत दिया है, लेकिन बीजेपी लालच और बेईमानी से एमसीडी पर अपना कब्जा कायम रखना चाहती है। एमसीडी में बीजेपी का कार्यकाल मार्च 2022 में ही खत्म हो चुका है। तब से लेकर अब तक उसने अलग-अलग बहानों से एमसीडी पर अवैध कब्जा कायम रखा है। बीजेपी नहीं चाहती कि एमसीडी में लोगों द्वारा चुनी गई आम आदमी पार्टी की सरकार बने। इसलिए हर बार जब सदन की बैठक होती है, तो बीजेपी वाले गड़बड़ी और बेईमानी करके सदन को स्थगित करवा देते हैं, जिसके चलते मेयर का चुनाव नहीं हो पा रहा है। सौरभ ने कहा कि इसी वजह से हम एमसीडी और दिल्लीवालों के लिए सुप्रीम कोर्ट गए हैं, ताकि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार और एलजी को आदेश दें कि जल्द से जल्दी पूरी ईमानदारी के साथ फ्री एंड फेयर इलेक्शन हो।