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मैनेजर कैलाश भाटी को भी तुस्याना भूमि घोटाले में हाईकोर्ट से राहत नहीं
एनसीआर नॉएडा न्यूज़: ग्रेटर नोएडा के तुस्याना गांव में हुए करोड़ों रुपए के भूमि घोटाले में गिरफ्तार अथॉरिटी के बाबू कमल सिंह की जमानत अर्जी गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय ने खारिज कर दी है। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण में कार्यरत मैनेजर कैलाश भाटी की जमानत याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली है। अब 21 दिसंबर को फिर हाईकोर्ट सुनवाई करेगा। कैलाश भाटी की जमानत अर्जी गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय पहले ही खारिज कर चुका है।
क्या है मामला: दरअसल, ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण क्षेत्र के तुस्याना गांव में वर्ष 2014 से लेकर 2017 तक भूमाफियाओं के गठजोड़ ने सरकारी जमीन हड़प ली। करीब 100 एकड़ जमीन कुछ स्थानीय लोगों की मिलीभगत से अपने नाम कर ली गई। इसमें राजस्व विभाग के कर्मचारी शामिल रहे। ग्राम पंचायत से ताल्लुक रखने वाले पदाधिकारी भी इस घोटाले में शामिल हैं। इसके बाद जमीन ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को बेच दी गई। प्राधिकरण से करीब 100 करोड रुपए मुआवजा ले लिया गया। इस मामले में गौतमबुद्ध नगर की इकोटेक-3 थाना पुलिस ने अथॉरिटी के अधिकारी कैलाश भाटी, कर्मचारी कमल सिंह और दीपक को बीते 16 नवंबर को गिरफ्तार किया था।
ऐसे दिया था घोटाले को अंजाम: गौतमबुद्ध नगर की एडिशनल पुलिस कमिश्नर भारती सिंह ने इस मामले में बताया था, "दादरी तहसील के गांव तुस्याना में खसरा संख्या 987, 1104, 1105 और 1106 में ग्राम समाज की जमीन थी। यह जमीन टेक्नोलॉजी पार्क लिमिटेड नाम की कंपनी ने अधिग्रहित कर ली। इसके बाद जमीन कंपनी की खतौनी में खाता संख्या 279 और 280 में दर्ज की गई। चकबंदी से पहले इन खसरों में ग्राम समाज की जमीन, बंजर, नाली, गैर मुमकिन और पट्टों की जमीन थी। इस तरीके से इन्होंने घोटाले को अंजाम दिया था।
इन अफसरों के नाम भी शामिल: इस खेल में कैलाश भाटी तो एक मात्र मोहरा है। अथॉरिटी के तत्कालीन रिटायर सीईओ, रिटायर एसीईओ, तत्कालीन जीएम प्लानिंग, तत्कालीन डीजीएम, तत्कालीन ओएसडी वरिष्ट कार्यपालक नियोजन डब्लू सुखवीर, वरिष्ट ड्राफ्टमैन सुरेश कुमार और उद्यान विभाग के मैनेजर आन्नद मोहन समेत कई अधिकारी शामिल रहे हैं।