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Madeli: मड़ेली में गुरु पूर्णिमा महोत्सव की धूम

Gulabi Jagat
21 July 2024 11:14 AM GMT
Madeli: मड़ेली में गुरु पूर्णिमा महोत्सव की धूम
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Madeli मड़ेली -छुरा: गुरुपर्व - गुरु, एक ऐसा शब्द है जो ज्ञान, प्रेरणा और मार्गदर्शन का प्रतिबिम्ब है। गुरु वे हैं होते हैं जो अंधकार में प्रकाश लाते हैं, अज्ञानता को दूर करते हैं और हमें जीवन का सही मार्ग दिखाते हैं। गुरु पूर्णिमा,जिसे व्यास पूर्णिमा और वेद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह गुरुपर्व हर साल के आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा का महत्व गुरु और शिष्य के पवित्र संबंध का प्रतीक है। इस दिन, शिष्य अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और उनके ज्ञान और मार्गदर्शन के लिए उनका सम्मान करते हैं। गुरुपर्व भारत में अपने आध्यात्मिक गुरु के साथ- साथ अकादमिक गुरुओं के सम्मान में उनके प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए मनाया जाने वाला पर्व है।
अखिल विश्व के 13 वें ज्योतिर्लिंग धाम महाऔघड़ेश्वर ज्योतिर्लिंग धाम अघोर मठ बिहावझोला मड़ेली‌(छुरा) जिला गरियाबंद महाकौशल क्षेत्र एवं अघोर पीठ श्री धाम सुमेरु मठ औघड़नाथ दरबार रायपुर छत्तीसगढ़ में ऊं श्रीं सत गुरूदेव अघोर पीठाधीश्वर बाबा श्री रुद्रानंद प्रचंड वेग नाथ जी के मार्गदर्शन में गुरु पूर्णिमा महोत्सव 20 जुलाई 2024 दिन शनिवार- रात्रि अभिषेक व श्रृंगार पूजन, तथा 21जुलाई 2024 रविवार-भोग भंडारा का आयोजन किया गया। पूरे देश में "वेदव्यास", जिन्हें हिन्दू धर्म का आदि गुरु माना जाता है। वेदव्यास ने महाभारत, वेदों और पुराणों सहित कई धार्मिक ग्रंथों की रचना की थी। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने अपने
गुरु ऋषि शांडिल्य
को ज्ञान प्रदान करने के लिए एवं भगवान बुद्ध ने भी अपने पहले पांच शिष्यों को गुरु पूर्णिमा को उपदेश दिया था।
इस दिन लोग अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए उनके चरणों में स्पर्श एवं विभिन्न प्रकार के पुष्प माला अर्पित करते हैं, उन्हें मिठाई,फल भेंट करते हैं और आशिर्वाद लेते हैं। गुरु मंदिरों विशेष पूजा अर्चना की जाती है। हर इंसान के जीवन में कोई न कोई गुरु होता है, जो किसी किसी को गुरु नहीं मानता वो भी किसी न किसी से अपने जीवन में सीखता है। हम सबके जीवन में कोई न कोई हमारा आदर्श होता है। वे ही हमारे गुरु के समान होते हैं। अपने गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त करना चाहिए। इससे गुरु और शिष्य के बीच का संबंध अच्छा होता है, एक दूसरे के प्रति सम्मान और अधिक बढ़ जाता है।
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