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नोएडा: भाजपा के जिलाध्यक्षों की फाइनल सूची पर केन्द्रीय संगठन की मुहर लग चुकी है. एक सप्ताह में यह सूची जारी हो जाएगी. इसको लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की लखनऊ में बैठक भी हुई. सूची में घोषित होने वाले अध्यक्ष पद के नामों को लेकर कार्यकर्ताओं की बेचैनी बढ़ी हुई है.
भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष की घोषणा के बाद से ही जिला संगठनों में फेरबदल की आशंका व्यक्त की जा रही थी. मई में हुए निकाय चुनाव के बाद इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई थी. पर्यवेक्षकों ने कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों से संवाद के बाद तीन-तीन नामों के पैनल क्षेत्रीय मुख्यालय को भेजे थे. जहां से उन्हें प्रदेश मुख्यालय भेजा गया था.
भाजपा संगठन में अध्यक्ष पद को लेकर हर जिले में इन दिनों नेताओं के बीच जोर-आजमाइश चल रही है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मानें तो संगठन के नियमों के तहत जो नेता पिछले दो बार से लगातार अध्यक्ष हैं उन्हें इस बार कुर्सी से हटना होगा और दूसरे नेता को जिम्मेदारी मिलेगी. इस नियम के चलते गौतमबुद्धनगर जिलाध्यक्ष के पद से विजय भाटी का हटना तय है. वह पिछले दो बार से लगातार यहां से जिलाध्यक्ष हैं. यहां पर पार्टी किसी अन्य नेता को जिम्मेदारी देगी, जिसके लिए तीन नामों का पैनल भेजा गया है, जिसमें गुर्जर बिरादरी के दो और एक ब्राह्मण नेता का नाम है. जिनमें से किसी एक नाम पर हाईकमान की अंतिम मुहर लग चुकी है.
पार्टी नेताओं के अनुसार यहां पर गुर्जर नेता को ही संगठन की कमान दिए जाने की अधिक संभावना है. हालांकि पार्टी के कुछ नेता ब्राह्मण नेता को संगठन का नया अध्यक्ष बनवाने के लिए पूरा जोर लगाए हुए हैं. वहीं, नोएडा महानगर में मनोज गुप्ता को फिर से संगठन की कमान मिल सकती है. उनका अभी एक बार का ही कार्यकाल हुआ है और वर्तमान में वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के नजदीकी भी माने जाते हैं. जिले में इस बार दस से अधिक नेता ऐसे हैं जो स्वंय के अध्यक्ष बनने का दावा कर रहे हैं. ऐसे में संगठन की कमान किस नेता को पार्टी हाईकमान द्वारा सौंपी जाएगी, इसको लेकर पार्टी के रणनीतिकारों की भी चुनौती बड़ी थी, जिन्हें सभी को संतुष्ट करते हुए एक नाम पर मुहर लगानी थी.
नेताओं में आपसी गुटबाजी भी बड़ा मुद्दा
भाजपा हाईकमान के लिए गौतमबुद्ध नगर में पार्टी नेताओं के बीच चल रही आपसी गुटबाजी भी एक बड़ा मुद्दा है. पार्टी के नेता जिले में विभिन्न गुटों में बंटे हैं. वर्तमान में जिले में भाजपा के तीन प्रमुख गुट सक्रिय हैं और इन तीनों ही गुटों की कमान एक-एक जनप्रतिनिधि के पास है. सभी का प्रयास रहता है कि वह दूसरे गुट पर हावी रहे. संगठन के चुनाव में भी यह प्रयास हो रहे हैं कि नए संगठन में उनके करीबी व्यक्ति को ही अध्यक्ष पद पर जिम्मेदारी मिले. ऐसे में पार्टी हाईकमान के लिए सभी को संतुष्ट करते हुए ऐसा नेता का चयन करना भी एक बड़ी चुनौती है, जो सभी को साध कर चल सके.