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अब यदि कोई संस्था नागरिकों से जुड़े डाटा का दुरुपयोग करती है, तो उसे 250 करोड़ रुपये तक जुर्माना अदा करना पड़ सकता है। हाल ही में संसद से पारित डिजिटल निजी डाटा सुरक्षा (डीपीडीपी) बिल में यह प्रविधान किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शनिवार को डीपीडीपी, दिल्ली सेवा समेत कुल सात विधेयकों को मंजूरी दे दी।
इन विधेयकों ने लिया कानून का रूप
अब इन विधेयकों में शामिल प्रविधान कानूनी रूप से लागू हो गए हैं। अन्य विधेयकों में जन विश्वास (प्रविधानों में संशोधन) अधिनियम 2023, जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम 2023, भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) अधिनियम 2023, राष्ट्रीय दंत आयोग अधिनियम 2023 और आफशोर एरिया मिनरल (डेवलप एंड रेगुलेशन) संशोधन अधिनियम 2023 शामिल हैं।
पांच साल बाद लागू हुआ कानून
पांच साल की मशक्कत के बाद डिजिटल निजी डाटा सुरक्षा कानून लागू हो गया है। मानसून सत्र में डीपीडीपी बिल को संसद के दोनों सदनों से पारित कर उसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था। इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी व संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर बताया कि डीपीडीपी बिल अब कानून बन गया है।
कई देशों में पहले से डाटा सुरक्षा कानून
दुनिया के कई देशों में डाटा सुरक्षा कानून है मगर भारत में अभी तक ऐसी व्यवस्था नहीं थी। भारत का यह नया कानून पूरी तरह से देश की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। इस कानून से वर्ष 2030 तक डिजिटल अर्थव्यवस्था को एक लाख करोड़ डालर तक ले जाने में मदद मिलेगी।
डाटा सुरक्षा कानून के फायदे
वहीं, लोगों की निजता की भी सुरक्षा होगी। डिजिटल रूप में निजी डाटा रखने या इसके इस्तेमाल के लिए अब संबंधित जन की इजाजत लेना जरूरी होगी। वर्ष 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने निजता (प्राइवेसी) को मौलिक अधिकार करार दिया था और इस संबंध में कानून लाने के लिए कहा था। वर्ष 2018 में डाटा प्रोटेक्शन बिल का ड्राफ्ट तैयार किया गया और वर्ष 2019 में इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया। समिति से बिल के आने के बाद उनकी सिफारिश के आधार पर डीपीडीपी बिल तैयार किया गया था जो अब कानूनी रूप ले चुका है।
डीपीडीपी कानून की खासियत
डिजिटल नागरिक को अपनी सूचना लेने, अपने निजी डाटा को ठीक या डिलीट करवाने, शिकायत का निपटान कराने का अधिकार दिया गया है।
डिजिटल नागरिक अगर डाटा स्टोर करने की इजाजत नहीं देता है तो कंपनी को उस डाटा को डिलीट करना पड़ेगा।
किसी भी डाटा का कलेक्शन नागरिक की मंजूरी के बिना नहीं होगा। डाटा उतना ही लिया जाएगा, जितनी जरूरत होगी।
जिस उद्देश्य के लिए डाटा लिया जा रहा है, उसकी पूर्ति के बाद प्लेटफार्म उस डाटा को अपने पास नहीं रख सकेगा, डाटा किसी और को नहीं दिया जा सकेगा।
डाटा सुरक्षा के उल्लंघन की शिकायत के लिए डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड होगा, दोषी पाए जाने पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगेगा।
दो बार या इससे अधिक बार कानून का उल्लंघन करने पर प्लेटफार्म को हमेशा के लिए ब्लाक करने का भी प्रविधान है।
सरकार को विशेष परिस्थिति में बिना इजाजत डाटा इस्तेमाल की छूट, सामान्य परिस्थिति में सरकार पर भी समान नियम लागू।
दिल्ली में अब एलजी ही 'बॉस'
मानसून सत्र में पारित हुए दिल्ली सेवा विधेयक को भी राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई। इसके साथ ही दिल्ली की सरकारी सेवाओं का नियंत्रण अब कानूनी रूप से केंद्र सरकार के पास होगा। यानी दिल्ली के 'बास' अब उपराज्यपाल (एलजी) ही बन गए हैं। अधिकारियों-कर्मचारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग उनके अधीन होगी। जमीन, पुलिस और कानून-व्यवस्था से संबंधित मामले पहले ही एलजी के अधीन हैं।
क्या है जन्म प्रमाण पत्र से जुड़ा नया कानून?
जन्म प्रमाण पत्र एकल दस्तावेज के रूप में मान्य जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण (संशोधन) अधिनियम 2023 भी अब कानून बन गया है। किसी व्यक्ति की उम्र और जन्म स्थान निर्धारित करने के लिए जन्म प्रमाणपत्र एकल दस्तावेज के रूप में मान्य होगा। शैक्षणिक संस्थान में प्रवेश, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने, आधार कार्ड बनवाने, विवाह पंजीकरण और सरकारी नौकरी हासिल करने समेत कई जगह यह अनिवार्य होगा। जन्म प्रमाण पत्र एक ऐसा जरूरी दस्तावेज होगा जिसके जरिए सरकारी सुविधाओं-योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे।