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एलजी ने मोहल्ला क्लीनिकों की ऑडिट कर 3 महीने में रिपोर्ट देने के दिए निर्देश

Admin Delhi 1
29 Dec 2022 6:38 AM GMT
एलजी ने मोहल्ला क्लीनिकों की ऑडिट कर 3 महीने में रिपोर्ट देने के दिए निर्देश
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दिल्ली न्यूज़: उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने मोहल्ला क्लीनिकों और अस्पतालों में निजी एजेंसियों को डायग्नोस्टिक सेवाएं मुहैया कराने के विस्तार प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। मंजूरी देते हुए उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार से कहा है कि कि इस सुविधा काे आउटसोर्स करने की जगह राज्य द्वारा संचालित स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करना चाहिए। इसी के साथ उपराज्यपाल ने मोहल्ला क्लीनिकों की ऑडिट कर 3 महीने में रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।

उपराज्यपाल ने अपने नोट में कहा कि 3 निजी एजेंसियों को सरकारी अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में डायग्नोस्टिक और लैब सुविधाओं की आउटसोर्सिंग उनके सामने उपलब्धि के रूप में प्रस्तुत की गई थी और उनके पास कार्यकाल के मौजूदा कार्यकाल के बाद से बड़े जनहित में प्रस्ताव को मंजूरी देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। मौजूदा कंपनियों की अवधि 31 दिसंबर को समाप्त हो रही थी। सक्सेना ने इस बात पर नाराजगी जताई कि दिल्ली कैबिनेट ने इस साल अगस्त में लैब और डायग्नोस्टिक सेवाओं को निजी कंपनियों को सौंपने का फैसला लिया था, जबकि फाइल उन्हें 12 दिसंबर को मंजूरी के लिए भेजी गई थी। समय पर निर्णय नहीं लेने की स्पष्ट चूक के कारण और अगस्त 2022 में बहुत पहले निर्णय लेने के बाद भी सहमति के लिए उपराज्यपाल को फाइल नहीं भेजने के कारण आप और उसके मंत्रियों विशेष रूप से मनीष सिसोदिया पर सवाल उठ रहा है। सरकार ने पहले एक बयान में कहा था कि 1 जनवरी 2023 से दिल्ली सरकार के सभी अस्पतालों, मोहल्ला क्लीनिकों और पाली क्लीनिकों में 450 प्रकार के टेस्ट की सुविधा मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी। अभी वर्तमान में 212 टेस्ट उपलब्ध हैं। मोहल्ला क्लीनिकों में रोगियों की संख्या को देखते हुए उपराज्यपाल द्वारा प्रयोगशाला परीक्षणों की सिफारिश में वृद्धि को गंभीरता से लेते हुए सिफारिश की है कि उनकी गुणवत्ता और बिलों के भुगतान के लिए प्रभावी मूल्यांकन अध्ययन एक सरकारी एजेंसी द्वारा किया जाना चाहिए या अगले 3 महीनों के भीतर विशेषज्ञों और वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति द्वारा उन्हें रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए। उपराज्यपाल के नोट के अनुसार इलाज किए जा रहे रोगियों की संख्या 2021 में प्रति मोहल्ला क्लीनिक प्रतिमाह 3,416 रोगियों से घटकर 2022 में 1,824 हो गई, जबकि डाॅक्टरों द्वारा निर्धारित मासिक औसत टेस्ट बढ़ गए। ये 2021 में 30,978 से बढ़कर 2022 में 9,30,000 हाे गए। उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के अस्पतालों में डायग्नोस्टिक सेवाओं को मजबूत करने के बजाय निजी आउटसोर्सिंग के प्रयास पर गंभीर आपत्ति व्यक्त करते हुए केजरीवाल सरकार से असहमति व्यक्त की है।

एक अधिकारी ने बताया कि उपराज्यपाल ने सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा है कि तीन महीने के भीतर रोगियों के ऑनलाइन पंजीकरण के साथ आधार आधारित या बायोमेट्रिक ट्रैकिंग की व्यवस्था स्थापित की जाए। उपराज्यपाल ने कहा कि इस नए प्रस्ताव को 6 महीने की अवधि के बाद इसकी प्रभावकारिता गुणवत्ता और वास्तविकता का पता लगाने के लिए मूल्यांकन किया जाना चाहिए, जिसमें यह पता किया जाए कि क्या यह व्यवस्था मौजूदा सरकारी तंत्र के लिए हानिकारक साबित तो नहीं हो रही है। इस सुविधा को आउटसोर्स करने के निर्णय पर असहमति जताते हुए उपराज्यपाल ने फाइल में उल्लेख किया है कि यह प्रथम दृष्टया स्वीकार करने वाली बात है कि राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे अस्पताल और सुविधाएं पैथोलाॅजिकल और डायग्नोस्टिक परीक्षण जैसे बुनियादी मानकों पर विफल रही हैं। उपराज्यपाल ने कहा कि दूर-दराज के इलाकों में भौतिक बुनियादी ढांचे और सरकारी क्षेत्र में प्रशिक्षित चिकित्सा पेशेवरों की सुविधाओं की कमी के मामले में ऐसा निर्णय समझ में आता है।मगर देश की राजधानी के लिए स्पष्ट रूप से एक तर्कसंगत निर्णय की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है।

उपराज्यपाल के अनुसार सुविधा की आउटसोर्सिंग दिल्ली की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की क्षमताओं को और कम कर देगी, जिसकी मजबूती जाहिर तौर पर सरकार द्वारा काफी समय से नजरअंदाज की गई है। यह भी सोचा जाना चाहिए कि सरकारी अस्पतालों,सुविधाओं में मौजूदा भौतिक बुनियादी ढांचे और पूर्ण विकसित पैथोलाॅजी विभाग अब से क्या करेंगे।

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