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LG ने मांगी अफसरों की लिस्ट, किसने बनाई दिल्ली की नई एक्साइज पॉलिसी
दिल्ली की नई आबकारी नीति पर छिड़ा विवाद अब नया मोड़ ले चुका है. इस मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश करने के बाद दिल्ली के उप-राज्यपाल ने मुख्य सचिव से उन अधिकारियों और सिविल सेवकों की लिस्ट मांगी है जिन्होंने इस नीति को बनाने, संशोधन करने और लागू करने का काम किया. इस मामले में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और उप राज्यपाल के बीच एक बार फिर ठन गई है.
दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने आबकारी नीति 2021-22 में फॉर्मूलेशन को लेकर किए गए उल्लंघनों और जानबूझकर की गई कोताही पर कड़ा रुख अख्तियार किया है. उन्होंने मुख्य सचिव को उन अधिकारियों और सिविल सेवकों की लिस्ट बनाने के लिए कहा है जिन्होंने इस नीति के लिए अवैध फॉर्मूलेशन बनाने, संशोधन करने और लागू करने का काम किया. मुख्य सचिव को इन अधिकारियों और सिविल सेवकों की भूमिका को लेकर विस्तृत रिपोर्ट देनी है. उपराज्यपाल का कहना है कि गलती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.
एलजी की ओर से कहा गया है कि ये अधिकारियों का कर्तव्य है कि अगर उनकी आंख के नीचे किसी तरह की अनियमिता को अंजाम दिया जा रहा है, तो वह इस बारे में मुख्य सचिव या संबंधित प्राधिकारी को सूचना दें. हालांकि अब तक सामने आए रिकॉर्डों के हिसाब से ये बात अपरिहार्य हो जाती है कि ना केवल कुछ अधिकारियों को कुछ स्पेशल पदों पर बिठाया गया और उन फैसलों को नजरअंदाज किया गया जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम-1991, दिल्ली आबकारी कानून-2009, दिल्ली आबकारी नियम-2010 और ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स-1993 जैसे कानूनों का पूर्ण उल्लंघन है. बल्कि इन अधिकारियों के पहली नजर में प्रभारी मंत्री मनीष सिसोदिया के हिसाब से अवैध आदेशों को सक्रियता के साथ बनाया और लागू किया.
अधिकारियों पर होगी कड़ी कार्रवाई
उपराज्यपाल ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर एक व्यापक रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट में अधिकारियों की भूमिका, फाइल्स की स्क्रूटनी इत्यादि की जानकारी देने को कहा गया है. रिपोर्ट जमा होने के बाद उसकी समीक्षा की जाएगी और फिर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.