- Home
- /
- दिल्ली-एनसीआर
- /
- वकील ने एनसीआर का पता...
दिल्ली-एनसीआर
वकील ने एनसीआर का पता अनिवार्य करने के बीसीडी के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी
Rani Sahu
20 April 2023 1:28 PM GMT
x
नई दिल्ली, (आईएएनएस)| एक वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली बार काउंसिल (बीसीडी) के हालिया फैसले को चुनौती दी है, जिसमें नामांकन के लिए आधार और दिल्ली-एनसीआर के पते वाले मतदाता पहचानपत्र को अनिवार्य किया गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा और बिहार की निवासी अधिवक्ता रजनी कुमारी ने बीसीडी के फैसले को मनमाना और भेदभावपूर्ण बताते हुए 13 अप्रैल को जारी नोटिस को चुनौती दी है। नोटिस में कहा गया है कि बीसीडी में नामांकन करने का प्रस्ताव देने वाले वकीलों को आधार और दिल्ली या एनसीआर में निवास स्थान दर्शाने वाले मतदाता पहचानपत्र पेश करना होगा।
मामले की संक्षिप्त सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने याचिकाकर्ता को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को याचिका में एक पक्ष बनाने के लिए कहा और मामले पर आगे के विचार के लिए 2 मई की तारीख तय की।
बीसीडी ने अपने नोटिस में कहा है कि राष्ट्रीय राजधानी में दाखिला लेने के इच्छुक नए कानून स्नातकों के लिए यह अनिवार्य है कि वे अपने आधार और मतदाता पहचानपत्र की प्रतियां दिल्ली/एनसीआर में पते के साथ संलग्न करें और इसके अभाव में नामांकन नहीं होगा।
रजनी कुमारी के अनुसार, बीसीडी का फैसला देश के विभिन्न हिस्सों से आने वाले और बेहतर संभावनाओं के लिए राजधानी में कानून की प्रैक्टिस करने का मौका तलाश रहे कानून स्नातकों के लिए एक बड़ी बाधा बन जाएगा।
याचिका में तर्क दिया गया है, "दिल्ली या एनसीआर के पते वाले आधार कार्ड और मतदाता पहचानपत्र की जरूरत उन कानून स्नातकों के साथ भेदभाव करती है, जिनके पास दिल्ली या एनसीआर के पते वाली ये दोनों चीजें नहीं हैं। यह कानून स्नातकों के बीच उनके आवासीय पते के आधार पर एक मनमाना वर्गीकरण बनाता है, जो संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।"
इसमें सवाल उठाया गया है कि कैसे आगरा से संबंधित कानून स्नातक और नेशनल लॉ स्कूल, बेंगलुरु से स्नातक मेरठ में प्रैक्टिस कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया है, "आक्षेपित अधिसूचना उस उद्देश्य के बारे में पूरी तरह से चुप है कि इसमें निर्धारित वर्गीकरण से बीडीसी क्या हासिल करना चाहती है।"
--आईएएनएस
Next Story