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जानिए 2 आईपीएस अनिल यादव और साद मियां के बारे में जिनको पदोन्नत करके गौतमबुद्ध नगर भेजा गया है
एनसीआर नॉएडा न्यूज़: उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार की देर रात राज्य में 15 आईपीएस अफसरों के तबादले किए हैं। इनमें 2018 बैच के 12 आईपीएस अफसर शामिल हैं। गौतमबुद्ध नगर में पूरे 2 वर्ष कार्यरत रहकर आईपीएस अंकिता शर्मा का तबादला कानपुर पुलिस कमिश्नरेट कर दिया गया है। उन्हीं के बैचमेट साद मियां खान और अनिल कुमार यादव को गौतमबुद्ध नगर भेजा गया है। साद मियां अभी तक बरेली में सहायक पुलिस आयुक्त थे। अनिल कुमार यादव लखनऊ में सहायक पुलिस आयुक्त थे। दोनों को पदोन्नत करके गौतमबुद्ध नगर भेजा गया है।
बिजनौर के साद मियां ने आईएएस छोड़ आईपीएस को चुना: बिजनौर नई बस्ती के निवासी साद मियां खान ने 2018 यूपीएससी एग्जाम में 25वीं रैंक हासिल की थी। साद मिंया को डेढ़ साल की ट्रेनिंग के बाद झांसी में प्रशिक्षु आईपीएस ज्वाइन किया था। उसके बाद 2021 में सीओ सिटी बरेली बनाया गया। साद को पिछले दिनों प्रोन्नत करके अपर पुलिस अधीक्षक बरेली बनाया गया था। साद के पिता रईस अहमद मुज़फ्फरनगर में सहायक निर्वाचन अधिकारी के पद से रिटायर हुए। 2007 में साद ने बिजनौर सेंट मेरी स्कूल से इंटर की परीक्षा पास की थी। इंटर की परीक्षा पास करने के बाद कानपुर चले गए और उन्होंने 2012 में हरकोर्ट बटलर टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट से बीटेक (सिविल) इंजीनियरिंग की। साद ने पांच बार प्रयास करने के बाद यूपीएससी में सफलता हासिल की।
बेहद प्रेरक है साद मियां और उनके दो दोस्तों की कहानी: साद मियां और उनके सो दोस्तों आईएएस विशाल मिश्रा और आईएएस गौरव विजयराम कुमार की कहानी बेहद प्रेरक है। इन तीनों ने एक साथ यूपीएससी परीक्षा पास की और प्रशासनिक अधिकारी बने। साद मियां खान रैंक के मामले में अपने दोस्तों में सबसे ऊपर हैं। उन्होंने इस परीक्षा में 25वीं रैंक हासिल की थी। उन्होंने विशाल मिश्रा के साथ एचबीटीआई कानपुर से बीटेक की पढ़ाई की थी। दोनों 2007 में दोस्त बने और 2012 में सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद दोनों की मुलाकात दिल्ली में सिविल सेवा की तैयारी कर रहे गौरव से हुई। तीनों ने एक साथ 2018 में यूपीएससी एग्जाम पास किया। गौरव को 34वीं रैंक मिली और विशाल मिश्रा को 49वीं रैंक मिली थी। गौरव उत्तर प्रदेश और विशाल मिश्रा उत्तराखंड में आईएएस अफसर हैं।
बेहद दिलचस्प है अनिल कुमार यादव के करियर की कहानी: लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट से स्थानांतरित होकर आ रहे एडिशनल डीसीपी अनिल कुमार यादव के करियर की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। आजमगढ़ के मठिया महुवारी गांव के निवासी अनिल कुमार यादव यूपीएससी की परीक्षा पास करने के दौरान देवरिया में सहायक श्रमायुक्त के पद पर कार्यरत थे। उनके पिता वासुदेव यादव परिषदीय विद्यालय में प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अनिल यादव ने प्रारंभिक पढ़ाई अपने गांव में की है। उसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए और जेएनयू नई दिल्ली से एमए पास किया।
उन्होंने 2013 से 2015 तक इंटेलीजेंस ब्यूरो में नौकरी की। 2010 में उत्तराखंड पीसीएस की परीक्षा पास की और साल 2015 से 2016 तक उत्तराखंड के उधमसिंह नगर जिले में सहायक श्रम आयुक्त के पद पर कार्य किया। इसके बाद 2014 यूपी पीसीएस की परीक्षा दी और चयन हो गया। लिहाजा, उत्तराखंड से नौकरी छोड़कर 2016 में यूपी आ गए। तब से लेकर 2018 यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा का परिणाम आने तक देवरिया में सहायक श्रम आयुक्त के पद पर कार्यरत रहे। बतौर आईपीएस चयन होने के बाद उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता मंगरी देवी और पिता को दिया था। कहा था कि बड़े भाई मनोज यादव की विशेष प्रेरणा और मार्गदर्शन से रास्ता आसान हो गया। उनके भाई असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।
अनिल यादव की पत्नी भी बन गईं एसडीएम: युवा आईपीएस अफसर अनिल यादव की पत्नी डॉ.चारूल यादव ने यूपी पीसीएस 2018 में सफलता हासिल की है। डॉ.चारुल यादव का चयन एसडीएम के पद पर हुआ। चारुल उस समय मुरादाबाद में गोकुलदास गर्ल्स कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर थीं। अनिल यादव भी ट्रेनिंग पूरी करके मुरादाबाद में बतौर एएसपी तैनात किए गए थे। मूलरूप से गाजीपुर की रहने वालीं चारुल ने मई 2019 में संस्कृत की असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर करियर शुरू किया था। चारुल ने जेएनयू से पीएचडी पूरी की। साल 2020 में अनिल और चारुल की शादी हुई थी।