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लालकिले पर उड़ी पतंग और देश में बन गई परंपरा, दुकानदारों ने मुफ्त में बांटी थी मिठाइयां

Renuka Sahu
15 Aug 2022 3:10 AM GMT
Kites flew over the Red Fort and became a tradition in the country, shopkeepers distributed sweets for free
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फाइल फोटो 

राजधानी दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में आजादी का जश्न मनाया जा रहा था। आमतौर पर जो लोग मिठाइयां नहीं खरीद पाते थे उन्होंने भी उस दिन मिष्ठान खरीदा और लोगों को बांटा।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। राजधानी दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में आजादी का जश्न मनाया जा रहा था। आमतौर पर जो लोग मिठाइयां नहीं खरीद पाते थे उन्होंने भी उस दिन मिष्ठान खरीदा और लोगों को बांटा। कई स्थानों पर हवन पूजन भी किया गया। पुरानी दिल्ली के जानकार और अबुल कलाम आजाद के परिवार से ताल्लुक रखने वाले फिरोज बख्त अहमद बताते हैं कि पुरानी दिल्ली में आजादी के जश्न की खास रौनक थी। यहां अधिकांश इलाकों में मुस्लिम समुदाय के लोग रहते थे और जश्न मना रहे थे। 14 से 16 अगस्त के बीच तो लोग खुशी में पतंगबाजी कर रहे थे। स्वतंत्रता दिवस के दिन इस इलाके में जो पतंगबाजी हुई वह देश के लिए परंपरा बन गई। आज न केवल दिल्ली, बल्कि स्वतंत्रता दिवस के दिन देश के विभिन्न राज्यों में पतंगबाजी होती है।

धूल बैठने लगी थी और लोग नारे लगा रहे थे
डोमिनीक लापिएर व लैरी कॉलिंस अपनी किताब 'आजादी-आधी रात को' में लिखते हैं कि लाखों कदमों से धूल भी बैठने लगी थी। लोग नारे लगा रहे थे और एक-दूसरे से गले मिल रहे थे। पुरानी दिल्ली में लालकिले की दीवारों के पास हजारों लोग खुशियां मनाते हुए घूम रहे थे। वहां पर अच्छा-खासा मेला लगा था। सपेरे, जादूगर, हाथ देखने वाले ज्योतिषी, भालू का नाच दिखाने वाले, दंगल के पहलवान, पेट में तलवार उतार लेने वाले बाजीगर, गालों को चांदी की नुकीली सलाई से बींधे फकीर, बांसुरी बजाने वाले सभी अपने-अपने करतब दिखा रहे थे। चारों ओर खुशियों का समुंद्र नजर आ रहा था। हर कोई एक-दूसरे को आजादी की बधाई दे रहा था।
हवन में शरीक हुए हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग
पुरानी दिल्ली के कटरा नील में पुराने हिंदुओं का परिवार था। उन्होंने उस समय एक बड़ा हवन किया था, जिसमें न केवल हिंदू, बल्कि मुस्लिम परिवार भी शामिल हुए थे। इस दौरान चाय और खाने का भी इंतजाम किया गया। वह परिवार मेहंदी का कारोबार करता था। आजादी के जश्न के बीच दिनभर मिठाइयों और बधाइयों का दौर चलता रहा।
दुकानदारों ने मुफ्त में बांटी मिठाइयां
आजादी के समय पुरानी दिल्ली में भाना भट्ट की मिठाई खास थी। वहीं, रामचंद्र गुड़वाले की दुकान खारी बावली में थी और वे हिंदू महासभा के सदस्य भी थे। इनके परिवार के कई लोग शहीद हो गए थे। इन दुकानदारों ने मुफ्त में मिठाइयां बांटी थी। उधर, शिरी भवन नाम की एक दुकान का मालिक मुस्लिम था। वह एक खास तरह का मिष्ठान हब्शी हलवा बनाता था। उन्होंने एक छोटे डिब्बे में नमक पारे, नमकीन और हब्शी हलवा की गोल टिक्की बांटी। दुकानदारों की दरियादिली आजादी की खुशी का इजहार कर रही थी।
बाइस्कोप वालों की लगी लंबी लाइनें
1947 में लालकिले से जब पंडित जवाहर लाल नेहरू का भाषण हुआ था तो वहां कुरान छापने वाली मुमताज एंड कंपनी के हिसामुद्दीन 'लाट साहब' और उनके दोस्त, मौलाना यूसुफ ने तिरंगा पतंगें मुफ्त में बांटी और प्रतियोगिता भी कराई। यह पतंगबाजी इतनी मशहूर हुई कि परंपरा बन गई। आज भी यहां स्वतंत्रता दिवस पर पतंगबाजी होती है। लालकिले पर बाइस्कोप वालों की लंबी लाइनें लगती थीं और वह एक आना में बाइस्कोप दिखाते थे। बच्चे भी वहां फिल्म देखने जाते थे।
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