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केजरीवाल ने मुफ्त सरकारी योजनाओं पर जनमत संग्रह कराने की मांग
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि जनता से पूछा जाना चाहिए कि क्या सरकारी पैसा एक परिवार और चंद दोस्तों पर इस्तेमाल होना चाहिए या आम लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य व बुनियादी सुविधाओं पर। टैक्स देने वालों के साथ धोखा उनके बच्चों को अच्छी और मुफ्त शिक्षा देने से नहीं है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुफ्त सरकारी योजनाओं पर जनमत संग्रह कराने की मांग की है। उनका कहना है कि जनता से पूछा जाना चाहिए कि क्या सरकारी पैसा एक परिवार और चंद दोस्तों पर इस्तेमाल होना चाहिए या आम लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य व बुनियादी सुविधाओं पर। मुख्यमंत्री का मानना है कि टैक्स देने वालों के साथ धोखा उनके बच्चों को अच्छी और मुफ्त शिक्षा देने से नहीं है। धोखा तब होता है, जब दोस्तों के लाखों करोड़ के कर्ज माफ कर दिए जाते हैं।
केजरीवाल ने बुधवार शाम वीडियो मैसेज जारी कर कहा कि अभी थोड़ी देर पहले कहा गया कि अगर जनता को मुफ्त सुविधाएं दी जाएंगी, तो देश को नुकसान होगा। यह टैक्स देने वालों के साथ धोखा होगा। केजरीवाल का मानना है कि टैक्स देने वालों के साथ धोखा तब होता है, जब उनसे टैक्स लेकर चंद दोस्तों के बैंकों के कर्जे माफ किए जाते हैं।
टैक्स देने वालों के साथ धोखा इससे नहीं होता है कि हम उनके बच्चों को अच्छी और मुफ्त शिक्षा देते हैं, उनका फ्री में इलाज कराते हैं। केजरीवाल ने कहा कि अगर 10 लाख करोड़ रुपये के कर्जे माफ नहीं किए जाते, तो आज देश घाटे में नहीं होता। दूध-दही पर जीएसटी नहीं लगानी पड़ती।
हालांकि, इस मुद्दे को सियासी विमर्श के लिए अच्छा बताते हुए अरविंद केजरीवाल ने मांग की है कि देश के अंदर इस पर जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए। यह जो एक माहौल बनाया जा रहा है कि जनता को फ्री की सुविधाएं देने से देश को नुकसान होगा, तो फिर सरकार का काम क्या है? अगर जनता जितना टैक्स देती है, उससे जनता को ही सुविधाएं नहीं देंगे और सारी सुविधाएं अपने दोस्तों को देंगे, तो फिर जनता के साथ धोखा ही होगा।