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न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा - 'न्यायपालिका को हिचक छोड़ संचार के आधुनिक साधन अपनाने चाहिए'
Deepa Sahu
31 July 2022 3:46 PM GMT
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उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे साधनों का जिक्र करते हुए ,
नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे साधनों का जिक्र करते हुए कहा कि लोगों तक पहुंचने और व्यापक स्तर पर समुदाय का सम्मान अर्जित करने के लिए न्यायिक संस्थान को संचार के आधुनिक साधनों को अपनाने के प्रति हिचक छोड़नी होगी।
शीर्ष अदालत के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ इस साल के अंत में भारत के प्रधान न्यायाधीश बनने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अदालतें संचार के आधुनिक माध्यमों के प्रति एक तरह से अब तक खामोश रही हैं। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों और न्यायपालिका को ''अपना डर त्यागना होगा'', चाहे वह व्यापक रूप से प्रचलित ट्विटर और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म का उपयोग करने के बारे में हो, या कार्यवाही की 'लाइव स्ट्रीमिंग' का मामला हो।न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ''बड़े पैमाने पर जवाबदेही की दुनिया है और मुझे लगता है कि हम बड़े पैमाने पर समुदाय का सम्मान अर्जित कर सकते हैं बशर्ते हम समाज में प्रचलित प्लेटफॉर्म को अपनाएं और इस पर आएं। यदि हमें बदलाव का अग्रदूत बनना है तो न्यायिक प्रणाली को पीछे नहीं छोड़ा जा सकता है।''
उन्होंने कहा, ''जब तक, हम एक न्यायिक संस्था के रूप में, आज हमारे समाज में इतने व्यापक संचार के इन साधनों को अपनाने के लिए इस प्रतिरोध को दूर नहीं करते, हम शायद खेल से बाहर हो जाएंगे। मुझे विश्वास है कि हम पहले से ही खेल को खोने की प्रक्रिया में हैं जब तक कि हम इस डर को दूर ना करें कि अगर हम संचार के आधुनिक साधनों का उपयोग करें तो क्या होगा।''
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़़ यहां विज्ञान भवन में आयोजित पहले अखिल भारतीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी ने आज त्वरित संदेश और एक साथ कहीं भी संचार के लिए उपकरण दिए हैं जिसके माध्यम से कोई सूचना दे सकता है और सूचना प्रसारित कर सकता है लेकिन सूचना प्राप्त करने वाला सूचना को संपादित या परिवर्तित नहीं कर सकता है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़़ ने कहा, ''अब यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है, हम बहुत मितभाषी रहे हैं, उच्चतम न्यायालय बहुत मितभाषी है, उच्च न्यायालय और भी अधिक मितभाषी हैं तथा जिला अदालतें उच्च न्यायालय की ओर देखती हैं, इसलिए वे ट्विटर, टेलीग्राम चैनल सहित संचार के आधुनिक साधनों के उपयोग पर और भी अधिक मितभाषी हैं।''
न्यायपालिका के कम्प्यूटरीकरण की देखरेख करने वाली शीर्ष अदालत की ई-समिति के प्रमुख न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ''मुझे लगता है कि संचार के साधनों का उपयोग करने के प्रति इस हिचक को बदलना होगा क्योंकि हम समाज में प्रचलित विमर्श की भाषा का उपयोग करके अपने नागरिकों तक पहुंच सकते हैं।''
अदालतों में न्यायिक कार्यवाही की 'लाइव स्ट्रीमिंग' को अपनाने पर एतराज की ओर इशारा करते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ''न्यायाधीशों के सामने कई तरह के विचार हैं कि अगर अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू कर दें तो क्या होगा? क्या लोग हमारा आकलन करना शुरू कर देंगे? या अगर हम अदालती कार्यवाही को 'लाइव स्ट्रीम' करते हैं तो समुदाय का सम्मान खो सकते हैं।''
उन्होंने कहा, ''हां, निश्चित रूप से, हममें से कुछ, समुदाय का सम्मान खो देंगे। लेकिन, हम समुदाय का सम्मान गंवाते हुए भी मंच पर बैठकर दुनिया को दिखा सकते हैं कि हम किस तरह का आचरण करते हैं।'' साथ ही, उन्होंने कहा कि इससे यह भी याद रहेगा कि न्यायाधीशों को अपने काम करने के तरीके को बदलना होगा।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कई तकनीकी हस्तक्षेपों पर भी प्रकाश डाला, जिन्हें उच्चतम न्यायालय और न्यायपालिका द्वारा ई-समिति के तत्वावधान में अपनाया जा रहा है।
Deepa Sahu
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