- Home
- /
- दिल्ली-एनसीआर
- /
- भारत में जजों की...
दिल्ली-एनसीआर
भारत में जजों की नियुक्ति जज करते हैं, यह धारणा गलत है: मुख्य न्यायाधीश
Renuka Sahu
13 April 2022 4:02 AM GMT
x
फाइल फोटो
मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण ने कॉलेजियम प्रणाली का बचाव किया.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण (N.V Ramana) ने कॉलेजियम प्रणाली (Collegium System) का बचाव किया. कॉलेजियम प्रणाली जजों की नियुक्ति और स्थानांतरण की प्रणाली है. एन. वी. रमण ने सोमवार को कहा कि भारत में न्यायाधीश ही न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं, यह अवधारणा गलत है और नियुक्ति लंबी परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से होती है, जहां कई हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया जाता है. उन्होंने कहा कि न्यायिक नियुक्तियों पर उच्चतम न्यायालय के फैसले जनता के विश्वास को बनाये रखने के मकसद से होते हैं.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि चयन की प्रक्रिया आज से ज्यादा लोकतांत्रिक नहीं हो सकती. उन्होंने एक समारोह में कहा कि भारत में न्यायाधीश ही न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं. यह धारणा गलत है और मैं इस धारणा को सही करना चाहता हूं. क्यूंकि नियुक्ति एक लंबी परामर्श प्रक्रिया के माध्यम से होती है. उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में कई हितधारकों से विचार-विमर्श किया जाता है. इसमें विधायिका भी एक प्रमुख हितधारक होती हैं.
न्यायमूर्ति रमण
न्यायमूर्ति रमण ने उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया का जिक्र किया और बताया कि जब कोई उच्च न्यायालय प्रस्ताव भेजता है तो संबंधित राज्य सरकार, राज्यपाल और भारत सरकार इसका अध्ययन करते हैं, जिसके बाद इसे उच्चतम न्यायालय को भेजा जाता है. उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के शीर्ष के तीन न्यायाधीश सभी हितधारकों के सुझावों के आधार पर ही प्रस्ताव पर विचार करते हैं.
NJAC अधिनियम असंवैधानिक NDA
उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने अक्टूबर 2015 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम को असंवैधानिक करार दिया था, जिसके तहत उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका को एक प्रमुख भूमिका दी गई थी. राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014 को दो दशक से अधिक पुरानी कॉलेजियम प्रणाली को बदलने के उद्देश्य से तत्कालीन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार द्वारा लाया गया था.
Next Story