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जेएनयू प्रशासन ने 30 तक ढाबा मालिकों और कैंटीन संचालकों को खाली करने नोटिस
दिल्ली न्यूज़: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिसर में कई कैंटीन और ढाबों के मालिकों से लाखों रुपये की बकाया राशि का भुगतान करने और 30 जून तक विश्वविद्यालय परिसर को खाली करने का निर्देश दिया है। विश्वविद्यालय ने आरोप लगाया कि इन दुकानों को उचित निविदा प्रक्रिया का पालन किए बिना आवंटित किया गया था। विश्वविद्यालय के संयुक्त रजिस्ट्रार (संपदा) एम. के. पचौरी ने कई कैंटीन मालिकों को भेजे गए नोटिस में उनसे पत्र जारी होने के सात दिन के अंदर संपूर्ण बकाया राशि का भुगतान करने को कहा है। इस बीच, परेशान दुकान मालिकों को अपनी आजीविका खोने का डर है और बकाया भुगतान के लिए पैसे की व्यवस्था करना उनके लिए मुश्किल हो रहा है। उनके अनुसार, परिसर में 10 कैंटीन/ढाबों/ फॉटो कॉपी की दुकानों को ये नोटिस दिए गए हैं।
विश्वविद्यालय ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति नोटिस का पालन करने में विफल रहता है तो वह सार्वजनिक परिसर अधिनियम, 1971 के अनुसार बेदखली की कार्यवाही के लिए उत्तरदायी होगा।नोटिस में कहा गया है, इस पत्र के जारी होने की तारीख से सात दिन के अंदर उन्हें बकाया राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया जाता है, इस निर्देश के साथ कि उन्हें 30 जून तक विश्वविद्यालय परिसर खाली करना होगा। इसके अनुसार, उपरोक्त निर्देश का पालन करने में विफल रहने वाला व्यक्ति सार्वजनिक परिसर अधिनियम 1971 के अनुसार बेदखली की कार्यवाही के लिए उत्तरदायी होगा। उक्त स्थान को खाली करने तक की तिथि तक बकाया किराया, जल एवं विद्युत शुल्क आदि के बकाया का भुगतान किया जाना चाहिए। जेएनयू रेक्टर अजय दुबे ने स्पष्ट किया कि उन दुकान मालिकों को नोटिस दिया गया है जिन्होंने लंबे समय से किराए और बिजली के बिल का भुगतान नहीं किया है। उन्होंने कहा कि कई दुकान उचित प्रक्रिया के तहत आवंटित नहीं की गई थीं।
नोटिस पाने वाले एक कैंटीन मालिक ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन उनसे बकाया किराए और बिजली बिल के रूप में 10 लाख रुपये मांग रहा है। नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा, मैं एक गरीब आर्थिक पृष्ठभूमि से आता हूं। परिवार में मैं और मेरा भाई ही कमाने वाले सदस्य हैं और हमारी आजीविका इस कैंटीन पर निर्भर है। मैं 10 लाख रुपये कैसे दे सकता हूं? उन्हें मासिक या वार्षिक बकाया की मांग करनी चाहिए थी। यहां तक कि अगर हम भुगतान करते हैं, तो भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वे हमें रहने देंगे। साल 2016 से पेंट्री की दुकान चला रहे एक व्यक्ति ने कहा कि उन्हें 20 लाख रुपये से अधिक का बकाया बिल प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा, नोटिस के अनुसार, हमें इस बिल का भुगतान करना होगा और परिसर खाली करना होगा। उन्होंने पहले भी नोटिस दिए थे, लेकिन हमने उनसे छूट के लिए अनुरोध किया था क्योंकि हम केवल समोसा और चाय बेचते हैं। लेकिन प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं आया।