- Home
- /
- दिल्ली-एनसीआर
- /
- बदलती वैश्विक व्यवस्था...
दिल्ली-एनसीआर
बदलती वैश्विक व्यवस्था में भारत के हितों को सही परिप्रेक्ष्य में रख रहे Jaishankar
Gulabi Jagat
10 Aug 2024 2:32 PM GMT
x
New Delhiनई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर को विदेश मंत्रालय का कार्यभार संभाले 2 महीने हो गए हैं। इस दौरान उन्होंने कई देशों की आधिकारिक यात्रा की, जिनका मुख्य उद्देश्य भारत के साथ संबंधों को और मजबूती प्रदान करना रहा है। जयशंकर ने 11 जून को लगातार दूसरी बार विदेश मंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत सबसे पहले श्रीलंका की यात्रा की। इस दौरान उन्होंने श्रीलंका के शीर्ष नेतृत्व के साथ साझेदारी के व्यापक मुद्दों पर चर्चा की। इसके बाद उन्होंने यूएई का दौरा किया और अपने समकक्ष के साथ साझेदारी के विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की।
जून के अंत में कतर के दौरे पर पहुंचे जयशंकर ने कतर के पीएम और अपने समकक्ष के साथ राजनीतिक, व्यापार, निवेश, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और संस्कृति पर ध्यान केंद्रित करते हुए बातचीत की। जयशंकर ने कजाकिस्तान के अस्ताना में हुई एससीओ समिट में भारत का प्रतिनिधित्व किया, जहां उन्होंने अपने चीनी समकक्ष के साथ मुलाकात कर सीमावर्ती इलाकों में विवादित मुद्दों के जल्द समाधान की जरूरत पर जोर दिया। इसके बाद मॉरीशस की यात्रा पर गए विदेश मंत्री ने वहां के पीएम के साथ विकास साझेदारी, आर्थिक एवं व्यापार संबंधों पर चर्चा की। उन्होंने जुलाई के अंत में टोक्यो में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल ‘क्वाड’ देशों के बीच सहयोग ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र मुक्त, खुला, स्थिर और सुरक्षित बना रहे। जयशंकर ने लाओस के वियनतियाने में आसियान विदेश मंत्रियों की बैठक में स्पष्ट किया कि आसियान के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता है। वह फिलहाल मालदीव के दौरे पर हैं।
अपने पहले कार्यकाल (2019-2024) में जयशंकर ने भारतीय कूटनीति का एक बहुत ही तेज-तर्रार, मगर बेहद व्यावहारिक चेहरा पेश किया है, जिससे तेजी से बदलती वैश्विक व्यवस्था में भारत के हितों को सही परिप्रेक्ष्य में रखा जा सका है। एक ओर जहां जयशंकर ने अमेरिका को भारत के सबसे करीबी रणनीतिक साझेदार देश के तौर पर स्थापित करने में मदद की है, वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी विरोध के बावजूद रूस जैसे सबसे पुराने रणनीतिक साझेदार के साथ संबंधों को मजबूत किया है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने जिस तरह से ग्लोबल साउथ (विकासशील व गरीब देश) का अगुवा बनाने का दावा वैश्विक मंच पर सफलतापूर्वक पेश किया है, उसका श्रेय भी जयशंकर को जाता है। उन्होंने भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति के तहत पड़ोसी देशों के साथ भी संबंधों को और प्रगाढ़ करने का काम किया है।
Tagsवैश्विक व्यवस्थाभारतपरिप्रेक्ष्यJaishankarGlobal orderIndiaperspectiveजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिलसिलाआज की ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsHindi NewsIndia NewsKhabron Ka SilsilaToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaperजनताjantasamachar newssamacharहिंन्दी समाचार
Gulabi Jagat
Next Story