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रोचक है इनकी कहानी, बाकरगढ़ के निवासियों ने बिना हथियार अंग्रेजों से लिया था लोहा

Admin4
2 Aug 2022 9:52 AM GMT
रोचक है इनकी कहानी, बाकरगढ़ के निवासियों ने बिना हथियार अंग्रेजों से लिया था लोहा
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गांव बाकरगढ़ के अमीचंद, गंगा राम व सलिक राम नामक युवकों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की अगुवाई की थी। उन्होंने अंग्रेज अधिकारी के मकान पर धावा बोला था।

देश को आजाद कराने के पहले स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वर्ष 1857 में दिल्ली के बाकरगढ़ ग्राम निवासियों ने बिना हथियारों के अंग्रेजों से लोहा ले लिया था। उन्होंने विद्रोह के दौरान इलाके की कमान संभालने वाले अंग्रेज अधिकारी बाकर के मकान पर धावा बोल दिया। इस दौरान अंग्रेज अधिकारी तो नहीं मिले, लेकिन मकान में मौजूद उनकी पत्नी का अपहरण कर लिया था। इन लोगों ने महिला के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं किया। इसकी जगह उन्होंने महिला से उसी तरह कार्य कराया, जैसे जेल में बंद भारतीयों से अंग्रेज काम ले रहे थे। बाकरगढ़ के 29 लोगों को इस विद्रोह की कीमत भी चुकानी पड़ी थी। पूरे गांव में अंग्रेजों ने तोड़-फोड़ की और सबको खेती की जमीन से बेदखल कर दिया।

गांव बाकरगढ़ के अमीचंद, गंगा राम व सलिक राम नामक युवकों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की अगुवाई की थी। उन्होंने अंग्रेज अधिकारी के मकान पर धावा बोला था। इस दौरान उनको मकान पर बाकर तो मिले नहीं थे, लेकिन उसकी पत्नी मिल गई थी और तीनों युवकों ने उसका अपहरण कर गांव ले आए थे। इस बारे में कुछ पल में पूरे गांव में खबर फैल गई और गांव के काफी युवक एकत्रित हो गए और उन्होंने अंग्रेजों की ओर से भारतीयों पर किए जा रहे अत्याचार का बदला लेने का निर्णय लिया। गांव के युवाओं ने अंग्रेज अधिकारी की अपहृत पत्नी से कृषि कार्य करवाना शुरू कर दिया और उन्होंने कई दिनों से उससे कृषि कार्य कराया।

उधर, बाकर की पत्नी की गायब होने पर अंग्रेज अधिकारियों में हड़कंप मच गया था। अंग्रेजों ने बाकर की पत्नी की काफी तलाश की, आखिर उन्हें बाकरगढ़ गांव में बाकर की पत्नी होने के बारे में मालूम हो गया। अंग्रेज दलबल के साथ बाकरगढ़ गांव पहुंच कर बाकर की पत्नी को मुक्त करा लिया था। हालांकि इस दौरान गांव के अमीचंद, गंगा राम व सलिक राम समेत 29 युवकों ने उनके साथ जमकर दो-दो हाथ किए, लेकिन अंग्रेज सैनिक काफी अधिक होने के कारण वे उन्हें हराने में कामयाब नहीं पाए थे। इस दौरान अंग्रेजों ने अमीचंद, गंगा राम व सलिक राम एवं 26 युवाओं को गिरफ्तार कर लिया था और अंग्रेजों ने समस्त ग्रामीणों के घरों को तुड़वा दिया था और उन्हें कृषि भूमि से बेदखल कर दिया था।

अंग्रेजों ने बाकरगढ़ के गिरफ्तार किए 29 युवाओं पर मुकदमा चलाया और कुछ दिन बाद सभी युवाओं को मौत की सजा सुनाई दी थी। नजफगढ़ में इन 26 युवकों पर उनकी जान नहीं जाने तक कोल्हू फिरवाया था और अमीचंद, सालिग राम और गंगाराम को नजफगढ़ में एक पेड़ पर सरेआम फांसी पर लटका दिया था। आज वहां देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की प्रतिमा लगी हुई है। इस कारण उस जगह को जवाहर चौक के नाम से जाना जाता है।

गांव के युवाओं की ओर से अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने पर उन्हें आज भी गर्व है और भविष्य में भी उनके साहस पर गर्व रहेगा। उन्होंने देश का आजाद कराने की लड़ाई में हथियार नहीं होने के बावजूद अंग्रेजों को सबक सिखाने का कार्य किया। - रणवीर सिंह खर्ब, बाकरगढ़

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों पर धावा बोल कर गांव के युवाओं ने अंग्रेजों को बैकफुट पर धकलने के साहसिक कार्य के बारे में वह नौजवानों को अवगत कराते रहते हैं। उनको देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने के लिए प्रेरित करते हैं।

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