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शराब माफिया को लाभ पहुंचाने के लिए इसे बढ़ाने का लिया फैसला'
न्यूज़क्रेडिट; अमरउजाला
आदेश गुप्ता ने यह भी कहा कि इस नीति के माध्यम से दिल्ली सरकार ने करोड़ रूपयों का जो भ्रष्टाचार किया है वह अब सबके सामने आ चुका है।
नई आबकारी नीति से राजस्व में बढ़ोत्तरी के सभी दावों की पोल खुल गई। दिल्ली सरकार ने सिर्फ गुमराह करने का काम किया है। विभाग के आंकड़ों के ही अनुसार आबकारी राजस्व में 3000 करोड़ रुपये की भारी कमी आई है। केजरीवाल की भ्रष्टाचारी सरकार ने शराब माफिया को लाभ पहुंचाने के इरादे से ही नई नीति को बढ़ाने का फैसला किया है। यह बातें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने मीडिया से बातचीत में कहीं।
गुप्ता ने यह भी कहा कि इस नीति के माध्यम से दिल्ली सरकार ने करोड़ रूपयों का जो भ्रष्टाचार किया है वह अब सबके सामने आ चुका है। सीबीआई जांच के बाद अब पूरी सच्चाई सामने आ ही जाएगी। 2022 के कैबिनेट नोट के सरकारी आंकड़ों से स्पष्ट हो चुका है कि सरकार के आबकारी राजस्व में तो भारी कमी आई है।
दिल्ली सरकार के उपमुख्यमंत्री जिनके पास आबकारी विभाग भी है का दावा है कि नई नीति से विस्की, वाईन और बियर की बिक्री में बढ़ोत्तरी हुई है। इससे साफ है कि यह बढ़ोत्तरी उनके जेब में गई है। दिल्ली सरकार द्वारा 2019-20 में आबकारी राजस्व का अनुमान 8911 करोड़ रूपये लगाया गया था, लेकिन वर्ष 2019-2020 में कुल राजस्व 7039 ही मिल पाया।
इतना ही नहीं नई आबकारी नीति आने के बाद इस राजस्व में अत्याधिक बढ़ोत्तरी का अनुमान लगाया गया था, लेकिन वर्ष 2011-22 में यह आबकारी राजस्व गिरकर 6720 करोड़ रुपये रह गया, जो कि अनुमानित राजस्व के मुकाबले 37 प्रतिशत की भारी कमी को दर्शाता है। कुल 14 थोक व्यापारियों में से चार ने तो नई शराब नीति को घाटे का सौदा मानते हुए अपना लाइसेंस ही दिल्ली सरकार को लौटा किया।
विधानसभा नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति के तहत दिल्ली की युवा पीढ़ी और महिलाओं के लिए विशेष पैकेज की बात की थी, लेकिन दिल्ली को शराब नगरी बनाने का जिस स्तर पर भाजपा का विरोध किया उसके कारण ही दिल्ली सरकार को अपनी नीति को वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा।
उधर, रोहताश नगर में नई आबकारी नीति को वापस लिए जाने पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया। विधायक जितेंद्र महाजन की अगुवाई में कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़े के साथ आतिशबाजी भी की। कहा कि भाजपा के आरोप की वजह से सरकार बैक फुट पर आई और नई नीति को वापस लेने के लिए मजबूर हुई। अब इसकी जांच होगी तो मुख्यमंत्री भी इससे नहीं बच सकेंगे।