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उपभोक्ता की मर्जी के बिना मोबाइल नंबर की मांग करना गलत
दिल्ली: यदि उपभोक्ता नहीं चाहता है तो उसकी मर्जी के बिना शॉपिंग के समय उसका मोबाइल नंबर नहीं मांगा जा सकता है. उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने प्रमुख उद्योग मंडलों को पत्र लिखा है. उन्होंने खुदरा कंपनियों को वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री के समय ग्राहकों से बिना उनकी सहमति के मोबाइल नंबर नहीं लेने की सलाह देने को कहा है. इस तरह की पिछले कई दिनों से शिकायतें आ रही थीं.
सचिव ने हाल ही में उद्योग मंडलों भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), फिक्की, एसोचैम, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) से खुदरा सामान बेचने वाले दुकानदारों को ग्राहकों से वस्तुओं की बिक्री के समय मोबाइल नंबर उनकी मर्जी के बिना नहीं लेने की सलाह देने को कहा है. सिंह ने 26 मई को लिखे पत्र में कहा, ‘‘मेरा आपसे आग्रह है कि आप खुदरा विक्रेताओं को उचित सलाह दें कि किसी भी सामान या सेवाओं की बिक्री के समय उपभोक्ताओं की सहमति के बिना उनका मोबाइल नंबर नहीं लिया जाना चाहिए. इसे बिक्री के लिये अनिवार्य शर्त नहीं बनाया जाना चाहिए.’’
मोबाइल नंबर देने के लिए किया जाता है मजबूर
सचिव ने कहा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) पर इस बारे में कई शिकायतें दर्ज की गई हैं कि खुदरा दुकानदार उपभोक्ताओं को सामान खरीदने से पहले अपना मोबाइल नंबर देने के लिये मजबूर कर रहे हैं. पत्र में उन्होंने लिखा है कि मोबाइल नंबर नहीं देने की स्थिति में उपभोक्ताओं को कई मामलों में खुदरा विक्रेताओं द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत उनके अधिकारों से वंचित किया गया. उन्होंने या तो उत्पाद या सेवा बेचने से इनकार कर दिया अथवा पैसा वापस करने या सामान बदलने से मना किया.
मोबाइल नंबर देते ही आते हैं विज्ञापन कॉल
सचिव ने कहा, ‘‘मोबाइल नंबर देने को अनिवार्य आवश्यकता बनाने से उपभोक्ताओं को प्राय: अपनी व्यक्तिगत जानकारी अपनी इच्छा के खिलाफ साझा करने के लिये मजबूर किया जाता है. इसके बाद उपभोक्ताओं के पास बड़ी संख्या में खुदरा विक्रेताओं से विपणन और प्रचार संदेश आने लगते हैं.’’ उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मामलों के विभाग ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है.