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काम रोकने के लिए जांच, सीबीआई रेड पर बोले सिसोदिया- भ्रष्टाचार की नहीं

न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
Manish Sisodia Interview : बीते शुक्रवार को सीबीआई ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर दबिश दी। उनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है। उधर, दिल्ली सरकार आबकारी नीति को देश की सबसे बेहतर बता रही है।
दिल्ली सरकार की आबकारी नीति इस वक्त विवादों में है। बीते शुक्रवार को सीबीआई ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर दबिश दी। उनके खिलाफ मामला भी दर्ज किया गया है। उधर, दिल्ली सरकार आबकारी नीति को देश की सबसे बेहतर बता रही है। दावा किया जा रहा है कि मूल नीति लागू होने से सरकार को करीब दस हजार करोड़ रुपये का सरकारी राजस्व मिलता। इन सबके बीच अमर उजाला संवाददाता संतोष कुमार ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व आबकारी विभाग का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे मनीष सिसोदिया से पूरे मामले पर खुलकर बात की। पेश है प्रमुख अंश...
आबकारी नीति से आप दस हजार करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की बात कर रहे हैं। जबकि केंद्र सरकार इसकी सीबीआई जांच करवा रही है। इतना बड़ा विरोधाभास क्यों?
इसकी हकीकत जाननी है तो दिल्ली सरकार की मूल आबकारी नीति और उसमें पूर्व उपराज्यपाल अनिल बैजल की ओर किए गए बदलाव में जाना पड़ेगा। वह भी नीति लागू होने से दो दिन पहले, 15 नवंबर को । अगर तत्कालीन उपराज्यपाल ने बदलाव न किया होता तो सरकार को दस हजार करोड़ रुपये राजस्व मिलने थे। सीबीआई हमारी जितनी जांच कर ले, हम उसके लिए तैयार हैं। लेकिन पूर्व उपराज्यपाल की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए। हमने इसके लिए सीबीआई को पत्र लिखा है।
नीति में बदलाव क्या था?
यही कि अनधिकृत क्षेत्रों में शराब की दुकानें सरकार नहीं खोल सकती। जबकि पहले जो नीति बनी थी, उसमें अनधिकृत क्षेत्रों समेत पूरी दिल्ली में 849 दुकानें खोली जानी थीं। तत्कालीन उपराज्यपाल ने नीति बनते वक्त इस प्रस्ताव का विरोध नहीं किया। लेकिन नीति लागू होने से पहले रुख बदल लिया और शर्त लगा दी कि अनधिकृत क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोलने के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण और निगम से इजाजत लेनी होगी। जबकि पहले ऐसा नहीं था।
और सियासी नुकसान?
नहीं, लोग समझ रहे हैं। प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी भी केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग की बात करते थे। लेकिन 2014 से अब तक वह भी सीख गए हैं। तभी दिल्ली में केजरीवाल सरकार बनने के बाद से अब तक मुख्यमंत्री समेत उनके मंत्रियों, विधायकों, नेताओं के खिलाफ कई बार इनका इस्तेमाल किया है। लेकिन हासिल कुछ भी नहीं हुआ उनको।
मतलब आप कहना चाहते हैं कि नीति में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ ?
हम तो इससे भी आगे की बात कह रहे हैं। जांच भ्रष्टाचार की नहीं हो रही है। अगर केंद्र को भ्रष्टाचार की जांच कराना होता तो सबसे पहले शराबबंदी के बावजूद गुजरात में शराब बिकने और पीकर मरने के मामलों की जांच करवाती। इससे गुजरात सरकार के राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है। जिस बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का प्रधानमंत्री ने उद्घाटन किया, वही टूट गया। जांच किस पर हो रही है, केजरीवाल सरकार के मंत्री पर, जो शिक्षा पर काम कर रहा है, स्वास्थ्य पर काम कर रहा है। यह सब इसलिए कि वह दिल्ली सरकार और मुख्यमंत्री केजरीवाल के कामों को रोकना चाहती है।
विपक्ष का कहना है कि सवाल आबकारी मंत्री से हैं और जवाब शिक्षा मंत्री दे रहा है?
तो जब आबकारी मंत्री ने कहा कि पूर्व उपराज्यपाल ने दबाव में आकर आबकारी नीति बदली तो उसकी सीबीआई जांच क्यों नहीं करवा रहे हैं। आबकारी मंत्री कह रहा है कि पहले उसका समाधान तो निकाल लो। अगर यह हो सका तो सीबीआई को सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे।
न्यूयार्क टाइम्स और खलीज टाइम्स में हूबहू खबर छपी है। कहा जा रहा यह सरकार की विज्ञापन नीति का हिस्सा है?
(हंसते हुए) यह अनपढ़ लोग नहीं समझ पा रहे है। जबकि न्यूयार्क टाइम्स ने इसका स्पष्टीकरण दे दिया है। आप लोग जानते हैं कि हर अखबार की अपनी नीति होती है। एक अखबार की खबर दूसरे अखबार में छपना कोई अनहोनी नहीं है।
पहले शायद ही किसी मसले पर आपने अपने कदम खींचे हों। चाहे उसके लिए आपको उपराज्यपाल के यहां धरना ही न देना पड़ा हो।
नहीं, ऐसा नहीं है। जो दिक्कतें आईं, उसे दूर करने के लिए हम नई आबकारी नीति तैयार कर रहे हैं। अभी उसकी प्रक्रिया चल रही है। इसमें समय लग रहा था तो तब तक के लिए नीति वापस ली है।