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एमआरएम के 20वें स्थापना दिवस पर इंद्रेश कुमार का दावा- बलूचिस्तान, सिंध को पाक से अलग किया जा सकता है
Rani Sahu
24 Dec 2022 7:10 PM GMT

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नई दिल्ली, (आईएएनएस)| मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) की स्थापना ठीक 20 साल पहले 24 दिसंबर, 2002 को हुई थी। इसे शुरू करने वालों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पूर्व प्रमुख केएस सुदर्शन, आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार, मुस्लिम बुद्धिजीवी मौलाना वहीदुद्दीन खान और हाजी इलियासी सहित अन्य शामिल थे। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने अपने 20वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर शुक्रवार को ऐवान-ए-गालिब सभागार में एक कार्यक्रम आयोजित किया। इस कार्यक्रम में बोलते हुए, एमआरएम संरक्षक और आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया जाना चाहिए, साथ ही उन्होंने कहा कि भारत में उन लोगों के लिए कोई जगह नहीं है जो अपने देश में रहते हुए असहज महसूस करते हैं।
इससे पहले एमआरएम के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शाहिद सईद द्वारा बनाई गई 11 मिनट की फिल्म दिखाई गई, जिसमें मंच के 20 साल के सफर को दर्शाया गया। इस अवसर को चिह्न्ति करने के लिए, इंद्रेश कुमार ने मंच के नए लोगो का अनावरण किया, जो अखंड भारत के मानचित्र को दर्शाता है। कुमार ने मंच से जुड़े कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान में नारे लगते हैं कि कश्मीर के बिना अधूरा है, तो हमें यह नारा लगाने से कोई नहीं रोक सकता कि लाहौर, कराची और ननकाना साहिब के बिना भारत अधूरा है।
कुमार ने यह भी दावा किया कि बलूचिस्तान और सिंध के कुछ हिस्सों को पाकिस्तान से अलग किया जा सकता है। उन्होंने कहा- 1947 में पाकिस्तान भारत से अलग हुआ और 1971 में बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग हुआ, लेकिन ये सभी कभी भारत का हिस्सा थे। आज भारत के चारों ओर कई सीमाएं बन गई हैं। हमें सीमाओं की रक्षा के लिए अरबों रुपये खर्च करने पड़ते हैं।
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पर निशाना साधते हुए कुमार ने कहा कि कुछ 'बुद्धिजीवी' कहते हैं कि देश में मुसलमानों में बेचैनी और असुरक्षा की भावना है, जबकि सच्चाई यह है कि इस देश के मुसलमान भारतीय थे और हमेशा भारतीय ही रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा सरकार ने तीन तलाक से छुटकारा दिलाया है और कानून बनाकर मुस्लिम महिलाओं को सम्मान से जीने का अधिकार दिया है।
कुमार ने कहा कि मुस्लिम समुदाय को हमेशा एक वोट बैंक के रूप में देखा जाता था, लेकिन वर्तमान सरकार ने उनके अधिकारों की बात की है और उन्हें सम्मान के साथ जीने का मौका दिया है।
--आईएएनएस

Rani Sahu
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