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भारतीय सैनिकों को चीन को जवाब देने के लिए सिखाई जा रही है चीनी भाषा 'मंदारिन, जानिए पूरी खबर

Admin Delhi 1
11 July 2022 5:09 AM GMT
भारतीय सैनिकों को चीन को जवाब देने के लिए सिखाई जा रही है चीनी भाषा मंदारिन, जानिए पूरी खबर
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नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में बीते दो साल से चीन के साथ चल रही तनातनी और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएएसी) पर सतर्कता बढ़ाने के लिए भारत ने चीन को उसी की भाषा में जवाब देने की तैयारी शुरू कर दी है। सैन्य और हथियारों की तैनाती के साथ भारतीय सेना ने अपने सैनिकों को चीनी भाषा 'मंदारिन' भी सिखाना शुरू कर दिया है। इसके लिए प्रशिक्षकों की भर्ती कर रही है और कई शैक्षिक संस्थाओं के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) भी किया है। चीन के साथ लगी करीब 3,400 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सतर्कता बढ़ाने की समग्र नीति के तहत भारतीय सेना समग्रता से तैयारी कर रही है। भारतीय सेना ने चीन को अब उसी की भाषा में जवाब देने के लिए अपने सैनिकों को चीनी भाषा 'मंदारिन' सिखाने पर जोर दे रही है। इसके लिए भारतीय सेना ने मंदारिन सिखाने के लिए प्रादेशिक सेना में इंटरप्रेटर की भर्ती निकाली है। जिसमें पांच पद सिविलियन और एक पूर्व सैनिक के लिए है। 18 से 42 साल का कोई भी भारतीय नागरिक, जिसे 'मंदारिन' आती है, इन पदों के लिए www.jointerritorialarmy.gov.in पर आवेदन कर सकता है। चयन के बाद अभ्यर्थी को एक महीने का आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि प्रतिष्ठान के भीतर मंदारिन में विशेषज्ञता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, ताकि कनिष्ठ एवं वरिष्ठ कमांडर आवश्यकता पडऩे पर चीनी सैन्य कर्मियों से संवाद कर सकें। उन्होंने कहा कि सेना की उत्तरी, पूर्वी और मध्य कमान के भाषा स्कूलों में मंदारिन भाषा संबंधी विभिन्न पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। भारतीय सेना मंदारिन भाषा से विभिन्न लेखों या साहित्य के अनुवाद के लिए कृत्रिम मेधा आधारित समाधानों का भी उपयोग कर रही है। एक सूत्रों ने कहा कि 'मंदारिन' में बेहतर पकड़ के साथ भारतीय सेना के कर्मी अपनी बात को और अधिक स्पष्ट तरीके से व्यक्त कर पाएंगे। प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारतीय सेना में अधिकारियों और जूनियर कमीशन अधिकारी (जेसीओ) समेत सभी रैंक में बड़ी संख्या में ऐसे कर्मी हैं, जो 'मंदारिन' भाषा जानते हैं।

सूत्रों ने कहा कि कोर कमांडर स्तर की वार्ता, फ्लैग मीटिंग, संयुक्त अभ्यासों और सीमा कार्मिक बैठकों (बीपीएम) जैसे विभिन्न स्तर के संवाद के दौरान चीनी पीएलए की गतिविधियों के बारे में उनकी बात को बेहतर तरीके से समझने और विचारों का बेहतर तरीके से आदान-प्रदान करने के लिए बड़ी संख्या में मंदारिन विशेषज्ञों की आवश्यकता है। सेना ने हाल में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू), गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजी) और शिव नाडर विश्वविद्यालय (एसएनयू) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। पचमढ़ी स्थित सैन्य प्रशिक्षण स्कूल और विदेशी भाषा स्कूल, दिल्ली में कई रिक्तियां बढ़ाई जा रही हैं।

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