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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज हुगली नदी के तट पर ‘गार्डन रीच शिपबिल्डर्स इंजीनियर्स लिमिटेड’ (जीआरएसई) केंद्र में भारतीय नौसेना के ‘प्रोजेक्ट 17 अल्फा’ के छठे नौसैन्य युद्धपोत ‘विंध्यगिरि’ का जलावतरण(लॉन्च) करेंगी. इससे भारत की समुद्री ताकत में और इजाफा होगा. आइए आपको बताते हैं विंध्यगिरि की खासियत.
मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :
क्या आप जानते हैं कि नौसेना के इस युद्धपोत को 'विंध्यगिरि' नाम क्यों दिया गया है...? दरअसल, आईएनएस नीलगिरि, उदयगिरि, हिमगिरि, तारागिरि और दूनागिरि की तरह, विंध्यगिरि का नाम कर्नाटक की एक पर्वत श्रृंखला के नाम पर रखा गया है.
युद्धपोत 'विंध्यगिरि' तकनीकी रूप से उन्नत है. परियोजना के तहत पहले युद्धपोत का जलावतरण 2019 और 2022 के बीच हुआ था. यह तीसरा और आखिरी युद्धपोत है, जिसका कोलकाता स्थित युद्धपोत निर्माता ने परियोजना के तहत नौसेना के लिए निर्माण किया है.
नौसेना में लगभग 31 वर्षों की अपनी सेवा में पुराने विंध्यगिरि ने विभिन्न चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन और बहुराष्ट्रीय अभ्यास देखे. नया विंध्यगिरि, जिसका आज जलावतरण होने वाला है, अपनी समृद्ध नौसैनिक विरासत को अपनाने और स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के भविष्य की दिशा में खुद को आगे बढ़ाने के भारत के दृढ़ संकल्प का प्रतिनिधित्व करता है.
विंध्यगिरि पी17ए निर्देशित मिसाइल युद्धपोत हैं। प्रत्येक युद्धपोत की लंबाई 149 मीटर है. इसका वजन लगभग 6,670 टन और गति 28 समुद्री मील है. ये वायु, सतह और सतह से नीचे तीनों आयामों में खतरों को बेअसर करने में सक्षम है.
इस युद्धपोत के उपकरण और पी17ए जहाजों की प्रणालियों के लिए 75 प्रतिशत ऑर्डर स्वदेशी कंपनियों से हैं, जिसमें सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्यम (एमएसएमई) भी शामिल हैं.
ये युद्धपोत प्रोजेक्ट 17 क्लास फ्रिगेट्स (शिवालिक क्लास) के फॉलो-ऑन हैं. विंध्यगिरि का प्रक्षेपण "आत्मनिर्भर नौसैनिक बल के निर्माण में हमारे राष्ट्र द्वारा की गई अविश्वसनीय प्रगति" का एक उपयुक्त प्रमाण है.
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