दिल्ली-एनसीआर

भारत को समानता के मुद्दे पर किसी से उपदेश की जरूरत नहीं : जगदीप धनखड़

Rani Sahu
5 April 2024 1:02 PM GMT
भारत को समानता के मुद्दे पर किसी से उपदेश की जरूरत नहीं : जगदीप धनखड़
x
नई दिल्ली : लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारत को समानता के मुद्दे पर इस ग्रह पर किसी से उपदेश की जरूरत नहीं है। हम हमेशा समानता में विश्वास करते हैं।
उन्होंने उन देशों से अपने भीतर झांकने का आह्वान किया जो भारत पर इस तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कुछ देशों में अभी तक कोई महिला राष्ट्रपति नहीं है, जबकि हमारे यहां ब्रिटेन से भी पहले एक महिला प्रधानमंत्री थी। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया के कई देशों में उच्चतम न्यायालय ने बिना महिला जज के 200 साल पूरे कर लिए, लेकिन हमारे यहां हैं।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर फैलाए जा रहे है झूठ और गलत सूचना पर लोगों को आगाह करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहा कि सीएए किसी भी भारतीय नागरिक से उसकी नागरिकता नहीं छीनता है, न ही यह पहले की तरह किसी को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने से रोकता है। उन्होंने कहा कि सीएए तो पड़ोसी देशों में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए भारतीय नागरिकता के मार्ग खोलता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा, ''हमारे पड़ोसी तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उनकी धार्मिक प्रताड़ना के शिकार वहां के अल्पसंख्यकों को यह राहत प्रदान करता है, ऐसे में यह कानून गलत कैसे हो सकता है?''
उन्होंने कहा कि, "सीएए उन लोगों पर लागू होता है, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए थे।" उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह कानून उन देशों से अल्पसंख्यकों को बुलाने के लिए नहीं है, बल्कि जो इससे पहले से यहां आ गए हैं, उनके लिए है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि इस तरह के तथ्यात्मक रूप से गलत प्रचार, विचार या फिर अस्थिर राष्ट्र-विरोधी बयानों का खंडन करें। इसके साथ जो हमारे गौरवशाली और मजबूत संवैधानिक निकायों को कलंकित करने की कोशिश कर रहे हैं, उनका विरोध करें।
उन्होंने आगे कहा कि हाल के वर्षों में शासन व्यवस्था बेहतर हुई है, लोकतांत्रिक मूल्य गहरे हो रहे हैं। क्योंकि, कानून के अनुसार समानता के सिद्धांत को बेहतर तरीके से लागू किया जा रहा है और भ्रष्टाचार पर भी लगाम कसी जा रही है।
उन्होंने आगे कहा कि पहले कुछ विशेषाधिकार प्राप्त वंशावली को यह लगता था कि वे कानूनी प्रक्रिया से बचे हुए हैं और कानून उन तक नहीं पहुंच सकता है। उन्होंने सिविल सेवकों के योगदान की सराहना करते हुए युवा अधिकारियों से कहा कि कानून के समक्ष समानता, जो लंबे समय से हमसे दूर थी और भ्रष्टाचार, जो प्रशासन की नसों में खून की तरह बह रहा था, अब अतीत की बात हो गई है।
उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि देश को निराशा से बाहर निकाला गया है। भारत आशा और संभावना की भूमि बन गया है। पूरे देश में उत्साह का माहौल है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत अब सोता हुआ विशाल देश नहीं, संभावनाओं से भरा और गतिमान देश बन गया है।
नौसेना की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी नौसेना का शायद ही कोई सप्ताह ऐसा गुजरता हो, जब समुद्री डकैतों से पीड़ितों को बचाने का काम नहीं किया गया हो। उन्होंने कहा कि प्रत्येक भारतीय को उनकी उपलब्धि पर गर्व होगा।
--आईएएनएस
Next Story