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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
दिल्ली विश्वविद्यालय में हुई अकादमिक परिषद की बैठक में कुलपति ने कहा कि जल्द ही विभागों और कॉलेजों में रिक्त पद भरे जाएंगे। बैठक में शिक्षक संगठन एनडीटीएफ के परिषद सदस्यों ने शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में हो रही देरी के मुद्दे को उठाया था।
दिल्ली विश्वविद्यालय में बीते बुधवार हुई अकादमिक परिषद की बैठक में शिक्षक संगठन एनडीटीएफ के परिषद सदस्यों ने शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया में हो रही देरी के मुद्दे को उठाया। इस पर कुलपति ने सदस्यों को कहा कि जल्द ही विभागों और कॉलेजों में रिक्त पद भरे जाएंगे। कुलपति ने डीयू प्रिंसिपल एसोसिएशन से रोस्टर कार्य को जल्द पूरा करने में सहयोग का आग्रह किया।
एनडीटीएफ के सदस्यों ने जिन शिक्षकों के प्रमोशन रद्द हुए है, उनकी डेट ऑफ एल्जिबलिटी का मुद्दा उठाते हुए शिक्षकों की वरीयता पर विश्वविद्यालय प्रशासन से जवाब मांगा। वीसी ने स्पष्ट किया कि जिन शिक्षकों के प्रमोशन रद्द हो गए हैं उनकी डेट ऑफ रिजेक्शन को डेट ऑफ एल्जिबलिटी नहीं माना जाएगा। ऐसे रद्द हुए केस में शिक्षकों की डेट ऑफ एल्जिबलिटी में से केवल एक वर्ष कम किया जाएगा।
28 कॉलेजों में प्रबंध समिति की अनियमितता का मुद्दा भी उठाया गया। इन कॉलेज में फंड जारी नहीं होने से शिक्षकों और कर्मचारियों को सैलरी भी नही मिल पा रही। एनडीटीएफ के सभी सदस्यों ने दिल्ली सरकार के वित्त पोषित कॉलेजों की प्रबंध समिति को लेकर विद्वत परिषद की विशेष मीटिंग बुलाने जाने की एवं 28 कॉलेजों को विश्वविद्यालय या यूजीसी के अधीन लेने की मांग की।
एनडीटीएफ ने ईडब्ल्यूएस की 25 प्रतिशत सीटें कॉलेजों को जल्द जारी करने की मांग की जिसपर वीसी ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय ने इस संबंध में यूजीसी को सीटों की मांग का पत्र भेज है, जिसके जल्द सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद है।
कोरोना के चलते 2019 से लेकर 2022 तक के अकादमिक सत्र में शिक्षकों को किसी भी प्रकार का अवकाश नही मिल पाया। शिक्षकों को विशेष रियायत दिए जाने की मांग पर विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया कि कार्यकारी परिषद में इस संबंध में एक समिति का गठन किया जा चुका है।
प्राध्यापकों के वर्कलोड को लेकर बने हुए संशय का मुद्दा मीटिंग में आने पर वीसी ने स्पष्ट किया कि प्रोफेसर एवं एसोसिएट प्रोफेसर को 14 घंटे एवं असिस्टेंट प्रोफेसर को 16 घंटे क्लास लेनी है, जिसमें कक्षा, टीटोरियल एवं प्रैक्टिकल सम्मिलित होंगे। एनडीटीएफ के सभी सदस्यों ने 65 वर्ष से अधिक के शिक्षकों की नियुक्ति का कड़ा विरोध किया।
