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SC का अहम फैसला: मृतक कर्मचारी की दूसरी पत्नी से पैदा हुआ बच्चा भी कंपनसेशन पर नियुक्ति के होंगे पात्र

Kunti Dhruw
24 Feb 2022 6:58 PM GMT
SC का अहम फैसला: मृतक कर्मचारी की दूसरी पत्नी से पैदा हुआ बच्चा भी कंपनसेशन पर नियुक्ति के होंगे पात्र
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उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने बृहस्पतिवार को कहा कि मृतक कर्मचारी की दूसरी पत्नी से पैदा हुआ बच्चा अनुकंपा (Compensation) नियुक्ति का पात्र है,

दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने बृहस्पतिवार को कहा कि मृतक कर्मचारी की दूसरी पत्नी से पैदा हुआ बच्चा अनुकंपा (Compensation) नियुक्ति का पात्र है, क्योंकि कानून के आधार वाली किसी नीति में वंश सहित अन्य आधारों पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए.शीर्ष अदालत ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति अनुच्छेद 16 के तहत संवैधानिक गारंटी का अपवाद है, लेकिन अनुकंपा नियुक्ति की नीति संविधान (Constitution) के अनुच्छेद 14 और 16 के अनुरूप होनी चाहिए. न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति पीएस नरसिंह की पीठ ने 18 जनवरी 2018 के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज कर दिया.

अदालत ने कहा कि मुकेश कुमार की अनुकंपा नियुक्ति पर योजना के तहत केवल इसलिए विचार करने से इनकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वह दूसरी पत्नी का बेटा है और रेलवे की मौजूदा नीति के अनुसार उसके मामले पर विचार करने का निर्देश दिया जाता है. पीठ ने कहा, 'अधिकारियों को यह परखने का अधिकार होगा कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन कानून के अनुसार अन्य सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है या नहीं. आवेदन पर विचार करने की प्रक्रिया आज से तीन महीने की अवधि के भीतर पूरी कर ली जाएगी.'

किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं- SC
पीठ ने कहा, 'कानून के आधार वाली अनुकंपा नियुक्ति की नीति में वंशानुक्रम सहित अनुच्छेद 16(2) में वर्णित किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए. इस संबंध में, 'वंश' को किसी व्यक्ति के पारिवारिक मूल को शामिल करने के लिए समझा जाना चाहिए.' शीर्ष अदालत ने मामले के इन तथ्यों का उल्लेख किया कि जगदीश हरिजन 16 नवंबर, 1977 को नियुक्त भारतीय रेलवे का कर्मचारी था और अपने जीवनकाल में उसकी दो पत्नियां थीं.
गायत्री देवी ने सौतेले बेटे को नौकरी के लिए दिया था अभ्यावेदन
गायत्री देवी जगदीश हरिजन की पहली पत्नी थी और कोनिका देवी दूसरी पत्नी थी. याचिकाकर्ता मुकेश कुमार दूसरी पत्नी से पैदा हुआ पुत्र है. हरिजन की 24 फरवरी 2014 को सेवा में रहते मृत्यु हो गई थी और उसके तुरंत बाद गायत्री देवी ने 17 मई 2014 को एक अभ्यावेदन देकर अपने सौतेले बेटे मुकेश कुमार को योजना के तहत अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति देने की मांग की.
केंद्र सरकार ने गायत्री देवी की अभ्यावेदन को किया खारिज
केंद्र ने 24 जून 2014 को गायत्री देवी के अभ्यावेदन को खारिज कर दिया और कहा कि मुकेश कुमार दूसरी पत्नी का बेटा होने के नाते ऐसी नियुक्ति का हकदार नहीं हैं. केंद्रीय प्रशसनिक अधिकरण और पटना उच्च न्यायालय में दायर याचिकाएं भी बाद में खारिज हो गईं, जिसके बाद मामला शीर्ष अदालत तक पहुंचा. मामले में अधिवक्ता मनीष कुमार सरन ने याचिकाकर्ता की ओर से और अधिवक्ता मीरा पटेल ने केंद्र की ओर से दलीलें रखीं.
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