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आईएमए के चेयरमैन डॉक्टर सुनील अवाना ने आईवीएफ सेंटर के मालिक प्रियरंजन ठाकुर की गिरफ़्तारी पर आपत्ती जताई

Admin Delhi 1
4 Sep 2022 7:04 AM GMT
आईएमए के चेयरमैन डॉक्टर सुनील अवाना ने आईवीएफ सेंटर के मालिक  प्रियरंजन ठाकुर की गिरफ़्तारी पर आपत्ती जताई
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नॉएडा ब्रेकिंग न्यूज़: ग्रेटर नोएडा वेस्ट में स्थित आईवीएफ सेंटर में इलाज के दौरान एक गर्भवती महिला कोमा में चली गई थी और इलाज के दौरान शहर के एक नामी अस्पताल में दम तोड़ दिया। इस मामले में पुलिस ने आईवीएफ सेंटर के मालिक प्रियरंजन ठाकुर के खिलाफ काफी संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया है। अब इस मामले में पुलिस की कार्रवाई पर आईएमए के चेयरमैन डॉक्टर सुनील अवाना ने आपत्ती जताई है। उनका कहना है कि कानून में इस मामले में गलत तरीके से कार्रवाई की है। उन्होंने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं।

"परिवार के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त की"

डॉ.सुनील अवाना का कहना है, "आईवीएफ सेंटर में गाजियाबाद के इंदिरापुरम में रहने वाली एक गर्भवती महिला ललिता का इलाज चल रहा था और इलाज के दौरान उनकी आकस्मिक मृत्यु हो गई है। इस मामले में वह परिवार के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त करते हैं।"

"पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए"

सुनील अवाना ने बताया, "मुझे जानकारी मिली कि गर्भवती महिला के इलाज के दौरान लापरवाही बरती गई थी और इसी के दौरान उनकी मौत हो गई। मुझे यह भी जानकारी मिली कि पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 304 और 338 के तहत मुकदमा पंजीकृत किया है।" उनका कहना है, "इस मामले में महिला डॉक्टर अपना कार्य पूरी निष्ठा के साथ कर रही थी। इस पूरे मामले में जिस डॉक्टर ने गर्भवती महिला को हाथ तक नहीं लगाया, उसके खिलाफ धारा 304 के तहत मुकदमा पंजीकृत करना सरासर गलत है और यह कानून नियमों के बिल्कुल खिलाफ है। इसके अलावा इसी प्रकार महिला डॉक्टर पर भी बिना विवेक का प्रयोग किए धारा 304 और 302 लगाई गई है।"

धारा 304 हटाने के लिए कहा: उनका कहना है, "धारा 304 का मतलब है कि नोएडा पुलिस यह मानती है कि मरीज का इलाज उसे चोट पहुंचाने के इरादे से किया गया है। इस धारा का लगना समाज को बहुत ही बुरा और गलत संदेश भेजता है। जिसकी वजह से सभी डॉक्टर इस मामले को लेकर काफी कष्ट व्यतीत कर रहे हैं। हम डॉक्टर समाज के लोग इस धारा का कड़ा विरोध करते हैं और हम निष्पक्ष जांच का स्वागत करते हैं।" उन्होंने कहा है कि इस मामले में डॉक्टर के खिलाफ धारा 304 को तत्काल हटाया जाए।

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