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किसी ने सरकार से कही मन की बात तो किसी ने कसे ऐसे तंज

Admin4
19 July 2022 8:54 AM GMT
किसी ने सरकार से कही मन की बात तो किसी ने कसे ऐसे तंज
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पहले से महंगाई की मार झेल रहे लोगों की कमर पांच फीसदी जीएसटी लगने के बाद और टूट गई है। पैक्ड व लेबल युक्त दही, लस्सी, पनीर, शहद, अनाज, मांस, मछली पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगने से इनके दाम और बढ़ गए हैं। इससे गृहिणियों सहित व्यापारी वर्ग भी परेशान हैं। इससे रसोई का बजट बिगड़ गया है। वहीं बच्चों को दिए जाने वाले दूध, दही में भी कटौती करनी पड़ रही है। महिलाएं कहती हैं कि पहले कहा जाता था कि दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ। वहीं अब इसका उलटा हो गया है कि दाल रोटी कम खाओ, महंगाई के गुण ज्यादा गाओ।

पांच फीसदी जीएसटी लगने के बाद सभी पैक्ड पदार्थ महंगे होने लगे हैं। पैक्ड आटा, बेसन, मैदा और पोहा भी जीएसटी के दायरे में आकर महंगे हो चुके हैं। इससे रसोई संभाल रहीं महिलाओं की मुश्किलें बढ़ गई हैं। खाद्य पदार्थ, स्कूलों की पढ़ाई, यातायात, होटल में ठहरने, अस्पताल में इलाज के दौरान रुकने तक सहित कई सेवाएं महंगी हो रही हैं, जिससे लोग खासे परेशान हैं। सोमवार को इन्हीं उलझनों पर कुछ महिलाओं से बात हुई तो उन्होंने कहा कि मुंह में जाना वाला निवाला भी अब जीएसटी के दायरे में आ गया है।

मकान के किराये से लेकर रसोई तक हरेक चीज महंगी हो रही है। पहले कहा जाता था कि दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ। अब इसका उलटा हो गया है दाल रोटी कम खाओ, महंगाई के गुण ज्यादा गाओ। -मीनाक्षी निवासी बसई।

पति-पत्नी दोनों काम करें तब भी मुश्किल से गुजारा होता है। हम कोई बचत नहीं कर पाते हैं, इसलिए भविष्य की चिंता रहती है। दो जून की रोटी जुटाने में ही पूरी कमाई लग रही है। पता नहीं आगे क्या होगा। -मधु शर्मा, निवासी फ्रेंडस कॉलोनी।

आटा, बेसन, मैदा, पोहा, सब्जी, दूध, दही सब हर महीने महंगा हो रहा है। खाना खाने में ही पूरी कमाई लग रही है, जो बचती है, वो स्कूल में लग जाती है। हम कहां जाएं, आखिर क्या करें। -रिंकी त्यागी, निवासी शिवाजी नगर।

दाल, चावल, रोटी, सब्जी खाने और स्कूलों की पढ़ाई का खर्च जब तक संतुलित नहीं होगा। महंगाई से आम आदमी का जीना दूभर रहेगा। इस पर सरकार को सख्ती करनी चाहिए। -सीमा जैन, निवासी फ्रेंडस कॉलोनी।

कोरोना काल के बाद से खाद्य पदार्थ और स्कूलों की पढ़ाई बहुत महंगी हो रही है। इससे घर संभालना मुश्किल हो गया है। सरकार को कम से कम खाने-पीने की चीजों के भाव पर नियंत्रण करना होगा। -अनीशा ठाकरान, निवासी सुभाष चौक।

अभी तक बढ़ी हुई जीएसटी की दरों के अनुसार खाद्य पदार्थों के नए रेट नहीं आए हैं। पुराने रेट का माल ही बिक रहा है। एक सप्ताह में नया रेट आ जाएगा। इसके बाद ही पता चलेगा कि किस पदार्थ में कितना रेट बढ़ा है। कुछ चीजों के रेट जरुर बढ़ गए हैं। - प्रवीण सिंगला, कारोबारी।

जीएसटी का असर

बेसन 800 से 825 रुपये प्रति दस किलो

मैदा 690 से 715 रुपये प्रति दस किलो

पोहा 680 से 710 रुपये प्रति दस किलो

शर्बती आटा 420 रुपये प्रति दस किलो

नई जीएसटी दरें

पैक्ड एवं लेवल युक्त दही, लस्सी, पनीर, शहद, अनाज, मांस, मछली पर पांच प्रतिशत

होटल में 1000 से कम किराए पर 12 फीसदी, 5000 से अधिक किराए पर 5 फीसदी

आटा चक्की और दाल मशीन पर 5 की जगह 18 फीसदी

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